बलरामपुर जिले की 90 फीसद आबादी गांवों में रहती है। बलरामपुर शिक्षा के मामले में बेहद पिछड़ा जिला है इसलिए नीति आयोग के द्वारा इसे अति महत्वकांक्षी जिला माना जाता है। नीति आयोग अपने मानकों के अनुसार काम कर रहा है और सुधार की कोशिश की जा रही है। लेकिन जब कोरोना काल की शुरुआत हुई तो सारे शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया। पिछले वर्ष तो बोर्ड परीक्षाएं भी नहीं आयोजित हो सकीं। अब इस वर्ष 26 अप्रैल से बोर्ड परीक्षाएं होनी हैं। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के छात्र एक तरफ जहां कोर्स ना कंप्लीट हो पाने के कारण हतोत्साहित है। वही, उनके अभिभावकों द्वारा पढ़ाई ना होने के बाद भी लिया गया फीस किसी कहर से कम नहीं। ईटीवी भारत जिले के सुदूर इलाकों में पड़ने वाले निजी स्कूलों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं से बात की और उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की।
पढ़ाई न होने पाने के कारण बढ़ी है समस्या :-
एक तरह बोर्ड परीक्षाओं में एक महीने का समय बचा है। दूसरी तरह कोविड का प्रकोप धीरे धीरे फिर बढ़ रहा है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की छात्र-छात्राएं कोविड-19 के कारण पढ़ाई ना हो पाने से परेशान हैं। शिक्षक ऑनलाइन पढ़ाई का दावा करते हैं, तो वही ग्रामीण क्षेत्र की छात्र-छात्राएं मोबाइल, नेटवर्क और बिजली तीनों की अनुपलब्धता के कारण पढ़ाई ना हो पाने की बात कहते हैं। समूचे शिक्षण सत्र के दौरान कॉलेज बंद रहा है। अब कॉलेज खुला भी है तो पढ़ाई का बोझ इतना है की बच्चे परेशान हैं कि इस बार की परीक्षा वह कैसे देंगे? इसको लेकर उनके माथे पर चिंता की रेखाएं भी है।
तकरीबन 25 हजार बच्चों के भविष्य का सवाल :-
बलरामपुर जिले के अंतर्गत आने वाले तुलसीपुर तहसील में जंगल और नेपाल बॉर्डर के किनारे करीब 15 हाईस्कूल और इंटर कॉलेज में करीब 4000 छात्र-छात्राएं शिक्षारत् है। वहीं, अगर पूरे जिले की बात की जाए तो कॉलेजों की संख्या 150 से अधिक और छात्रों की संख्या 25 हजार से ऊपर है। लेकिन इस बार उनके सामने बोर्ड परीक्षा में पढ़ाई की अव्यवस्था के कारण विभिन्न समस्याएं मुंह बाए खड़ी है।
इन्हीं समस्याओं का आंकलन करने के लिए हमने नेपाल बॉर्डर से सटे सुदूर इलाकों में दो इंटर कॉलेजों पर जाकर छात्र छात्राओं व शिक्षकों से बात की।
कृषक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, महमूदनगर :-
कृषक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महमूद नगर में हाई स्कूल में 75 छात्र हैं। छात्रों से जब उनकी कोर्स से संबंधित चर्चा की गई तो छात्र प्रशांत आर्य व बबली पाठक ने बताया कि ना तो ऑनलाइन शिक्षा ही दी गई और ना कोविड के कारण कॉलेज ही खुला हुआ था। जिससे पढ़ाई पर काफी असर हुआ है। खुद से पढ़ कर परीक्षा की तैयारी की जा रही है। फिर भी तकरीबन 60-70 परसेंट ही कोर्स पूरा हो सका है। बावजूद इसके पूरे साल का फीस प्रबंध तंत्र द्वारा ले ली गई है। यह हमारे लिए एक बड़ी समस्या है।
वहीं, संदेश तिवारी, शाहिद खान का कहना है कि उनके पास ना तो स्मार्टफोन है और ना ही उनके गांव में नेटवर्क होता है। बिजली की समस्या भी बरकरार रहती है। ऐसे में अगर ऑनलाइन क्लास चलता भी हो तो इसका लाभ हम लोग नहीं ले सकते है।
इस कॉलेज के अधिकतर छात्रों ने बताया कि बोर्ड परीक्षा की तारीख का ऐलान होने के बाद वह लोग डरे हुए हैं। किसी तरह तैयारी कर रहे हैं। कोर्स पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इसका असर हमारे रिजल्ट पर पड़ना स्वाभाविक है।
शिवनारायण इंटर कॉलेज, लालनगर सिपहिया :-
शिवनारायण इंटर कॉलेज लालनगर सिपहिया में भी स्थितियां कमोबेश अलग नहीं है। यहां पर भी कोरोना महामारी की मार छात्र छात्राओं की पढ़ाई पर पड़ी है। यहां पर तकरीबन 250 छात्र अध्ययनरत हैं। इनकी भी ऑनलाइन क्लास किसी तरह चलाई गई, लेकिन अधिकतर बच्चों के सुविधाएं ना होने के कारण वह पढ़ नहीं सके, जिससे वह विचलित है।
यहां भी छात्रों का आरोप है कि कोई सुविधा नहीं दी गई. छात्र मनोज यादव, साक्षी पांडेय, प्रतिज्ञा ने बताया कि ऑनलाइन क्लास चलाई भी गई हो तो उनके पास ऑनलाइन क्लास के लिए कोई व्यवस्था ही नहीं है। कॉलेज बंद था। इसके बाद भी पूरे साल की फीस स्कूल कालेज द्वारा ले ली गई।
छात्रों ने बताया कि बोर्ड परीक्षा सिर पर है लेकिन तैयारी आधी-अधूरी है, जिससे इस बार परीक्षा की तैयारी को लेकर आत्मविश्वास की कमी है। तैयारी कर रहे हैं लेकिन साल भर की पढ़ाई को कुछ दिनों में नहीं पूरा किया जा सकता है। स्कूल में अब गुरुजन समस्याओं के निराकरण का काम भी करते हैं। लेकिन समस्या तो है ही।
दी गयी तमाम व्यवस्थाएं :-
वहीं, इस इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य कमलेश कुमार मिश्र का कहना है कि प्रबंध तंत्र द्वारा जितनी व्यवस्था दी जा सकती है, बच्चों को दी गई है। बच्चों का अतिरिक्त कक्षाएं चला कर उनका कोर्स पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। हमने अभिभावकों से जबरन फीस नहीं ली है, हमने पूरे लॉकडाउन अपने बच्चों को पढ़ाया है। और जब से स्कूल खोलने की अनुमति मिली है तब से बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
अब धीरे धीरे हो रहा है सुधार :-
हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के छात्र-छात्राओं के हित से जुड़े सवाल को जिला विद्यालय निरीक्षक गोविंद राम से पूछा। उन्होंने बताया कि हमारे राजकीय विद्यालयों, सहायता प्राप्त स्कूलों व इंटर कॉलेजों सहित निजी स्कूलों में गरीब तबकों के बच्चे पढ़ने को आते हैं। यह सही है कि सबके पास ऑनलाइन पढ़ाई करने सुविधा नहीं है। लेकिन जब से स्कूलों-कॉलेजों को खोला गया है। तब से समस्याओं के निराकरण में सुधार आया है।
ज़बरन नहीं वसूल सकते फीस :–
वह फीस लेने मामले पर बताते हैं कि सरकार का आदेश है कि स्कूल इस वर्ष फीस नहीं बढ़ा सकते हैं। चूंकि वह अध्यापकों को सैलरी देते हैं और अन्य ख़र्चे भी होते हैं इसलिए गत वर्ष की भाँति ही वह अभिभावकों से फीस ले सकते हैं लेकिन दबाव नहीं बना सकते हैं।
रिपोर्ट – योगेंद्र विश्वनाथ तिवारी, बलरामपुर