रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज 44 प्रमुख पुलों का उद्घाटन किया। इसके साथ अब पश्चिमी, उत्तरी और उत्तर-पूर्वी सीमाओं के करीब संवेदनशील क्षेत्रों में सड़कों और पुलों की कनेक्टिविटी को एक नया आयाम मिलेगा। इसके अलावा रक्षा मंत्री नें अरुणाचल प्रदेश में नेचिपु सुरंग के लिए आधारशिला भी रखी। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत,थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे और रक्षा सचिव अजय कुमार की मौजूदगी में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस समारोह का आयोजन नई दिल्ली में किया गया।
ये पुल रणनीतिक महत्व के हैं और दूरदराज के क्षेत्रों को कनेक्टिविटी प्रदान करनें वाले हैं। ये 44 पुल सात राज्यों
और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि कोरोना के चुनौतीपूर्ण समय में और पाकिस्तान और चीन द्वारा सीमा तनाव, विवादों के बावजूद, देश न केवल उनका सामना कर रहा है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकास के सभी क्षेत्रों में ऐतिहासिक बदलाव भी ला रहा है।
बीआरओ के एक अधिकारी ने कहा कि भारत को चीन के साथ पकड़ बनाने की जरूरत है जिसने दशकों से सीमा के नजदीक बड़े पैमानें निवेश किया है। एलएसी के निकट चीन लंबे समय से निर्माण कार्य में लगा हुआ है और यदि भारत की तरफ से सीमा तक अपने सैनिकों की पहुँच बनानें में ज्यादा विलम्ब किया जाता तो इस नुकसान की भरपाई करना बहुत महंगा पड़ सकता था। इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार नें बीआरओ के बजट में भी बढ़ोतरी की गई।
सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में अपनी भूमिका के लिए बीआरओ की सराहना करते हुए, राजनाथ सिंह ने कहा कि इन पुलों ने पश्चिमी, उत्तरी और उत्तर-पूर्व क्षेत्रों के दूर-दराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार किया और स्थानीय लोगों की आकांक्षाओं को पूरा किया। उन्होंने कहा कि इनसे पूरे वर्ष सशस्त्र बलों के परिवहन और रसद संबंधी आवश्यकताएं भी पूरी होंगी।
●सरकार नें बीआरओ का बजट दुगुना कर दिया है
2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार बनने के बाद से ही प्रधानमंत्री नें भारत-चीन सीमा के साथ बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि बीआरओ का वार्षिक बजट वर्ष 2008-2016 के बीच 3,300 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,600 करोड़ रुपये हो गया। इतना ही नहीं, 2020-21 में यह धनराशि 11,000 करोड़ रुपये से भी अधिक हो गई। कोविड-19 के बावजूद इस बजट में कोई कमी नहीं की गई।
रक्षा मंत्री ने कहा कि सड़कें और पुल किसी भी राष्ट्र की जीवन-रेखा हैं और सुदूरवर्ती क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, उन्होंने कहा कि सभी परियोजनाओं की प्रगति की नियमित रूप से निगरानी की जा रही है और उनके समय पर निष्पादन के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराया जा रहा है।
●अरुणाचल प्रदेश में नेचिपु सुरंग के लिए आधारशिला
राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग की सड़क पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नेचिपु सुरंग की आधारशिला भी रखी। यह 450 मीटर लंबी, दो लेनों वाली सुरंग नेचिपु पास में सभी मौसम में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगी और दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में एक सुरक्षित मार्ग प्रदान करेगी।
●कहाँ कितनें पुल
बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह नें बताया कि 30 मीटर से 484 मीटर तक के ये 44 पुल विभिन्न राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में बनाए गए हैं जिनमें- जम्मू-कश्मीर में 10, हिमाचल प्रदेश में 2, पंजाब में 4, लद्दाख ,उत्तराखंड,अरुणाचल प्रदेश में 8-8 और सिक्किम में 4 पुलों का निर्माण किया गया हैं। ये सभी पुल सामरिक महत्व के हैं और सीमा क्षेत्रों में नागरिक और सैन्य यातायात की भारी आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। ये पुल सुदूर सीमा क्षेत्रों के समग्र आर्थिक विकास में योगदान करेंगे और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की शीघ्र तैनाती में भी सहायता करेंगे।
●बीआरओ ने इस साल बनाए अब तक 102 पुल
सड़क निर्माण में तेजी लाने के अलावा, बीआरओ ने पिछले साल 28 प्रमुख पुलों को पूरा करके पुलों के निर्माण पर विशेष जोर दिया है, जबकि इस वर्ष 102 प्रमुख पुलों का निर्माण पूरा किया जा रहा है। इनमें से 54 पुल पहले ही पूरे हो चुके हैं। सशस्त्र बलों और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों की तत्काल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बीआरओ द्वारा 60 से अधिक बेली पुलों का भी निर्माण किया गया है। बीआरओ ने रणनीतिक महत्व के कार्यों जैसे कि प्रमुख पुल और सड़क, अटल सुरंग, सेला सुरंग आदि के निर्माण और सामरिक पर्वतीय मार्ग के उद्घाटन के लिए स्नो क्लीयरेंस के साथ कोविड-19 महामारी संबंधी प्रतिबंधों के दौरान भी लगातार काम किया है।
-अराधना शुक्ला