GST काउंसिल की आज होने वाली बैठक हंगामेदार रह सकती है, पिछली दो बैठकों से राज्यों के GST मुआवजे पर फैसला नहीं।

नई दिल्ली: राज्यों को GST बकाए के भुगतान को लेकर आज GST काउंसिल की बैठक होगी। मुआवजे को लेकर काउंसिल की ये तीसरी बैठक होगी। इस बैठक में GST मुआवजे के भुगतान को लेकर आम सहमति बनाने के लिए एक मंत्रिस्तरीय समिति गठित करने के कुछ राज्यों के सुझाव पर चर्चा हो सकती है। PTI के हवाले से मिली खबर के मुताबिक कुछ सूत्रों ने ये जानकारी दी है।

गैर-बीजेपी शासित राज्य दिल्ली, केरल, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु केंद्र सरकार के ऊपर लगातार GST मुआवजे का भुगतान करने का दबाव बना रहे हैं। इन राज्यों का कहना है कि जीएसटी को लाने वाले संविधान संशोधन के मुताबिक केंद्र सरकार राज्यों को मुआवजा देने के लिए बाध्य है। इन राज्यों की मांग है कि इस मामले में आम सहमति बनाने के लिये मंत्रिस्तरीय समिति का गठन होना चाहिए।

इसके पहले केंद्र सरकार ने राज्यों को लोन लेने के कुछ प्रस्ताव दिए थे, जिसे बीजेपी शासित राज्यों ने तो मान लिया. इनका मानना है कि उन्हें अब लोन लेने की दिशा में आगे बढ़ने की मंजूरी दी जानी चाहिये, ताकि उन्हें जल्द पैसा मिल सके। आपको बता दें कि अगस्त में केंद्र सरकार ने राज्यों को इस संकट से निपटने के लिए दो विकल्प दिये थे।

1.पहला विकल्प यह था कि RBI की देख-रेख में राज्य 97,000 करोड़ रुपया एक खास विंडो से लोन लें।
2.दूसरा विकल्प यह है कि वे पूरे 2.35 लाख करोड़ रुपये की रकम को उधार लें।

केंद्र ने सेस 2022 तक बढ़ाया था


GST काउंसिल ने पिछले हफ्ते हुई मीटिंग में यह फैसला किया था कि कार, तंबाकू वगैरह जैसे लग्जरी प्रोडक्ट पर जून 2022 के बाद भी सेस लगाया जाएगा। नियम के मुताबिक यह जीएसटी लागू होने के बाद सिर्फ पांच साल तक लगना था. हालांकि उस मीटिंग में मुआवजे को लेकर कोई आम सहमति नहीं बन पाई थी।

चालू वित्त वर्ष में जीएसटी मुआवजा रेवेन्यू में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी रहने का अनुमान है। केंद्र सरकार का कहना है कि इसमें से करीब 97,000 करोड़ रुपये का नुकसान ही GST लागू होने की वजह से है, बाकी करीब 1.38 लाख करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान कोरोना और लॉकडाउन के चलते हुआ है।

रिपोर्ट- विकास चन्द्र अग्रवाल

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