भारत में कोरोना से ढाल बना रहा आयुर्वेद।

रिपोर्ट – सरदार परमजीत सिंह,


        कोरोना महामारी के इस काल में आयुर्वेद दवाईयां भारत के लिए एक मजबूत ढाल बनकर खड़ी हुई है इसीलिए भारत में कोरोना संक्रमण से होने वाली मृत्यु दर बहुत कम बल्कि जनसंख्या के मुताबिक ना के बराबर है। आयुर्वेद हमारे भारत में प्राचीन युगों से शामिल रहा है। प्राचीन युग में ऋषि-मुनियों द्वारा इस्तेमाल होने वाली जड़ी बूटियों ने आज आयुर्वेद का रूप ले लिया है।जिसका आज भी वर्तमान काल में बहुत महत्व है या यूं कहिए कि इस कोरोना संक्रमण को रोकने में एक मजबूत दीवार बनकर खड़ा है।


         स्थानीय आयुर्वेद दवाओं के स्टॉकिस्ट श्री नीरज जैन (एम डी पी के जैन) से संवाददाता द्वारा इस संबंध में मुलाकात हुई उन्होंने कोरोना संक्रमण से बचने के लिए आयुर्वेद दवाओं के बारे में बताया कि गिलोय जूस व आंवला जूस मिलाकर दिन में दो बार 20ml तक मात्रा में,आयुष काढ़ा दिन में तीन बार लेने से इस संक्रमण से 100% तक बचा जा सकता है।इसके अलावा एम्यूटी पावर को बढ़ाने व बुखार को कम करने के लिए संशमनी बटी का प्रयोग करना बताया।
        उनसे पूछने पर कोरोना काल में कोरोना संबंधित आयुर्वेद दवाओं की बिक्री का 8 से 10 गुना तक बढ़ोतरी होना बताया।च्यवनप्राश जो कि जाड़े के समय में केवल बिकता था,इस समय आउट ऑफ स्टॉक यानी लगभग 700 गुना तक बढ़ी हुई बताया।


         पतंजलि के आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण ने भी दावा किया है कि आयुर्वेदिक दवाओं से न सिर्फ कोविड-19 का शतप्रतिशत इलाज संभव है,बल्कि इसके संक्रमण से बचने को इन दवाओं को बतौर वैक्सीन भी इस्तेमाल किया जा सकता है।उन्होंने बताया अश्वगंधा,गिलोय,तुलसी और श्वासारि रस का निश्चित अनुपात में सेवन करने से कोरोना संक्रमित व्यक्ति को पूरी तरह स्वस्थ किया जा सकता है।
        प्राप्त जानकारियों से हम कह सकते हैं कि अगर कोरोना संक्रमण से बचना है तो आयुर्वेदिक दवाएं हमारे लिए बचाव का एक मजबूत सहारा बन सकती हैं।

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