भिखारियों से परेशान लोगों को मिलेगी राहत, वाराणसी की सड़कों से हटेंगे भिखारी, पुनर्वास का प्रस्ताव!

पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी तेजी से स्मार्ट सिटी बनने की ओर अग्रसर है। घाट और चौराहों को चमकाया जा रहा है। गोदौलिया चौराहे से लेकर दशाश्वमेध घाट तक तेजी से विकास हो रहा है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर योजना से विश्ववनाथ मंदिर को भव्यता दी जा रही है और काम तेजी आगे बढ रहा है। लॉक डाउन के बाद बनारस आने वाले पर्यटकों की संख्या में बढोत्तरी हो रही है।

वहीं प्राचीन नगरी वाराणसी में दूर दराज से आने वालें पर्यटक भिखारियों से खासे परेशान हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर के बाहर से लेकर दशाश्वमेध घाट तक भिखारियों का झुंड मड़राता रहता है और दूर दराज से आने वाले पर्यटकों को परेशान करता है। जिससे बनारस की छवि खराब होती है।

काशी की एक संस्था “अपना घर आश्रम” ने भिखारियों के आश्रय के लिए कदम बढाया है। संस्था ने वाकायदा प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्ताव का प्रजेंटेशन कमिश्नर समेत जिले के अधिकारियों के सामने 25 जनवरी को रखा जायेगा। बैठक में जिले के 18 विभाग के अधिकारी शामिल होंगे, पुलिस विभाग के आलाधिकारी भी मौजूद रहेंगे। बैठक के बाद भिखारियों को अपना घर आश्रम शिफ्ट किया जायेगा। जहां भिखारियों के रहने खाने और पुनर्वास की व्यस्था होगी। सरकारी आश्रयस्थल भी इसके लिए चिह्नित हो सकते हैं।

संस्था के संचालक डॉक्टर निरंजन के अनुसार भिखारी आलसी होते हैं वे कोई भी काम नहीं करना चाहते हैं साथ ही इनमें नशाखोरी की लत होती है। काशी में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं जिनसे भिखारियों को भीख आसानी से मिल जाती है।

भिखारी अकेले नहीं होते है वाकायदा इनका सिंडिकेट होता है। चेन सिस्टम की तरह भीख मंगवाने से लेकर इनको उचित जगह पर प्लांट करने की जिम्मेदारी भी लीडर पर होती है। बदले में लीडर इन भिखारियों को रहने की जगह और खाने के लिए देते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने भिक्षाटन को अवैध और दंडनीय करार दिया है। लेकिन फिर भी भिक्षाटन पर रोक नहीं लग पा रहा है क्योंकि ज्यादातर जनपदों के प्रशासनिक अधिकारी इस मामले में लापरवाह बने हुए हैं, नियम कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी पालन नहीं कराया जा रहा है।

रिपोर्ट – पुरुषोत्तम सिंह

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