केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। इसी कड़ी में 5 सितंबर को भारतीय किसान यूनियन (भाकियू-टिकैत गुट) पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में महापंचायत करने जा रही है। जिसमें 5 राज्यों से लाखों किसानों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के भाई और संगठन अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि मुजफ्फरनगर में आयोजित पंचायत किसान महापंचायत नहीं, बल्कि किसानों का धर्मयुद्ध है।
मुजफ्फरनगर को जाटलैंड भी कहा जाता है। यहां होने वाली किसान महापंचायत की तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं। किसान नेता गांव-गांव बैठकें कर रहे हैं। किसानों से ट्रैक्टर लेकर जीआईसी ग्राउंड पहुंचने की अपील कर रहे हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने इस महापंचायत को समर्थन दिया है। संयुक्त मोर्चा से 200 से ज्यादा किसान संगठन जुड़े हुए हैं, वे सभी अपने-अपने इलाकों में इस महापंचायत के लिए बैठकें कर रहे हैं। भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि इस महापंचायत में उप्र, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब के लाखों किसान शामिल होंगे। इस दिन रूपरेखा बनेगी कि आगे क्या किया जाए। नरेश टिकैत बीते दिनों से अलग-अलग शहरों का दौरा कर रहे हैं, ताकि महापंचायत को सफल बनाया जा सके।
यूपी में छह महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। लगभग इसी समय उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। जिसके लिए सभी राजनीतिक दल जनता को अपने पाले में करने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।
माना जा रहा है कि अक्तूबर-नवंबर से सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियां युद्धस्तर पर प्रारंभ कर देंगे। किसान आंदोलनों का असर बीते पंचायत चुनाव, जिला पंचायत चुनाव में देखने को भी मिला है। ऐसे में पांच सितंबर की यह महापंचायत वेस्ट यूपी के राजनीतिक फैक्टर को प्रभावित कर सकती है, ऐसी आशंकाएं जताई जा रही हैं।
मुजफ्फरनगर में महापंचायत से पहले दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर 26-27 अगस्त को अखिल भारतीय किसान सम्मेलन होगा। इसकी तैयारियां जोरों पर हैं। भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि दिल्ली के बॉर्डरों पर चल रहे किसान आंदोलन को नौ महीने पूरे हो रहे हैं। इस उपलक्ष्य में यह सम्मेलन होगा। इसमें देशभर से किसान संगठनों के करीब 1500 प्रतिनिधि पहुंचने की उम्मीद है।
रिपोर्ट – आर डी अवस्थी