रिपोर्ट – मनीष सिंह, लखनऊ
उत्तर प्रदेश में आचनक से भगवान परशुराम को लेकर सियासत तेज हो गई है। 2022 विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस, सपा के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती ब्राह्मणों को साधने में जुटी गई है और अपने पिछले कार्यकाल में ब्राह्मणों को दिए गए सम्मान को भी याद दिलाया।
गौरतलब है कि लखनऊ में सपा ने भगवान परशुराम की 108 फिट प्रतिमा को लगाने के एलान के बाद मायावती ने चिरपरिचित अंदाज में सपा को चुनौती देते हुए बोली कि बीएसपी की सरकार आएगी तो सपा से ज्यादा बड़ी भगवान परशुराम की प्रतिमा लगाएंगे और उनके नाम से अस्पताल भी बनाएंगे।
मायावती ने यह भी कहा हर वर्ग के संतों के नाम पर अस्पताल खोलेंगे और प्रतिमा लगाएंगे। वहीं कांग्रेस भी जितिन प्रसाद के नेतृत्व में ब्राह्मणों को साधने में जुटी है।
प्रदेश के अलग-अलग जिलों के ब्राह्मणों से जितिन प्रसाद मोबाइल और सोशल मीडिया के माध्यम सें संवाद करते हैं और प्रदेश सरकार पर आए दिन हमले करते हैं।
मायावती ने कानून के मुद्दे पर यूपी की बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए है कि प्रदेश में जंगलराज जैसी स्थिति है, कानून व्यवस्था का बुराहाल है और वहीं एक वर्ग के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। मायावती ने बीजेपी को आंड़े हाथ लेते हुए ब्राह्मणों के उत्पीड़न का आरोप लगाया। वहीं केंद्र और राज्य सरकार पर कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में लापरवाही का भी आरोप लगाया।
गौरतलब है कि पिछले 10 से 15 दिनों में देश और प्रदेश में तेजी से कोरोना के मामले बढ़े और मौते हुई हैं। इसकी को लेकर मायावती ने चिंता भी जताई कि अगर सरकारों ने सही कदम नहीं उठाए तो कोरोना महामारी से स्थिति और भयावह हो सकती है। मरीजों को बेहतर इलाज और सुविधा देने के लिए मायावती ने सरकारों से अपील की ।
प्रदेश में सभी पार्टियां सोशल इंजीनियरिंग करने में जुट गई हैं। ब्राह्मणों पर अचानक से कांग्रेस, सपा और बीएसपी मेहरमान नहीं हुई है। ब्राह्मणों के यूपी में 21 फीसदी वोट बैंक को लिए पार्टियों को भगवान परशुराम याद आ रहे हैं।
सपा, बीएसपी और कांग्रेस तीनों ब्राह्मणों को साध कर सत्ता की चाभी पाना चाहते हैं। 2007 विधानसभा चुनाव में मायावती ने ब्राह्मण और दलित के भरोसे सत्ता पाई थी इसी को दोहराने में बीएसपी फिर जुट गई है। वहीं सपा से ब्राह्मणों के लगाव के बारे में सभी चीजें जगजाहिर है परन्तु बीजेपी सरकार से ब्राह्मणों की नाराजगी को भुनाने के लिए सपा ने यह कदम उठाया है और भगवान परशुराम की प्रतिमा लगाने का एलान किया है, जिसका की ब्राह्मण समाज में अच्छा मैसेज भी जा रहा है।
समाजवादी सुप्रीमो अखिलेश यादव ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम समीकरण बनाने के लिए कदम बढ़ाया है। कांग्रेस अजय कुमार लल्लू के माध्यम से दलित वोट बैंक, जितिन प्रसाद के माध्यम से ब्राह्मण वोट बैंक पर नजर बना रही है। कांग्रेस मुस्लिम, ब्राह्मण और दलित समीकरण बनाने की जुगत में है। अब देखाना यह होगी की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी कैसे अपने पुराने वोटरों को मनाने में सफल होती है।