उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव बिना सियासी भूचाल के हो जाए ऐसा हो ही नहीं सकता, जब-जब यूपी में राज्यसभा चुनाव होता है तब-तब सियासी उथल-पुथल जरूर होती है। इस बार के राज्यसभा चुनाव के दौरान बीएसपी के 7 विधायक सपा मुखिया अखिलेश यादव से मिले तो आग बबूला बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने दूसरे दिन ही सातों विधायकों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
यूपी में 10 सीटों पर राज्यसभा चुनाव हैं, जिसमें बीजेपी चाहती तो 9 सीटों पर प्रत्याशी खड़ा कर सकती थी पर कहीं न कहीं बीएसपी के लिए साफ्ट कॉर्नर दिखाते हुए बीजेपी ने 8 सीटों पर ही प्रत्याशी खड़े किए।
सपा ने एक सीट पर रामगोपाल यादव को प्रत्याशी बनाया तो वहीं बीएसपी ने रामजी गौतम को प्रत्याशी बनाया। सियासी भूचाल तब आया जब सपा मुखिया अखिलेश यादव ने नामांकन के अंतिम क्षणों में सपा से दूसरा प्रत्याशी बजाज को खड़ा कर दिया। नामांकन के दूसरे दिन बीएसपी के 7 विधायक सपा दफ्तर अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे तो उत्तर प्रदेश की सियासत में अचानक से गर्मी आ गई। विधानसभा से लेकर सपा और बीएसपी के दफ्तरों में सरगर्मियां तेज हो गई पर शाम होते होते जब सपा के दूसरे प्रत्याशी बजाज का पर्चा खारिज हुआ तो बीएसपी और बीजेपी दोनों ने ही राहत सांस ली क्योंकि बजाज का पर्चा खारिज होने के बाद अब निर्विरोध दसों राज्यसभा सांसद चुन लिए जाएंगे।
सूत्रों की माने तो बीएसपी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने रामगोपाल से इस बाबत बात भी की थी।
वहीं सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के खेल से नाराज और आग बबूला बीएसपी सुप्रीमो मायावती कहां चुप बैठने वाली थी। सपा के दूसरे प्रत्याशी बजाज का पर्चा खारिज होने के दूसरे दिन की सुबह-सुबह मायावती ने अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी को खूब खरी-खोटी सुनाई और बड़ा आरोप लगाते हुए बोला की सपा सरकार में मेरी हत्या का षड्यंत्र कामयाब नहीं हो पाया था। न भूलाने वाली घटना को मैंने भुलाया, सपा के साथ गठबंधन करना बड़ी भूल थी। मायावती आगे कहती है कि अखिलेश यादव को चुनाव के बाद फोन किया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, केस को वापस लेकर भी बड़ी गलती की, सपा का दलित विरोधी चेहरा फिर सामने आ गया। मायावती ने सफाई देते हुए कहा कि किसी दूसरे दल से नहीं मिले हैं, हमारे ऊपर गलत आरोप लगाए जा रहे हैं।
बसपा के विधायकों की खरीद-फरोख्त की गई, बसपा के 7 विधायकों को तोड़ा गया। मायावती ने बताया कि सातों विधायक असलम राईनी, असलम चौधरी, हाकिम लाल बिंद, सुषमा पटेल, हरगोविंद भार्गव, वंदना सिंह और मुज्तबा सिद्दीकी को पार्टी से निलम्बित कर दिया है और इन लोगों की विधायकी को भी खत्म करने के लिए विधानसभा में कार्यवाही की मांग करेंगे।
पिछली बार भी राज्यसभा चुनाव में पश्चिम के बाहुबली नेताओं शर्मा बंधुओं ने पाला बदला था और उनकी सियासी जमीन दल-दल करने के कारण अपने क्षेत्र से छिन गई। समझने वाली बात यह है कि फौरी लाभ के लिए विधायक पाला बदलते हैं पर जनता कभी कभी विधायकों को ठीक से सबक सिखाती है। पार्टियां विचारधारा पर काम करती हैं और जनता उसी से प्रभावित होकर वोट करती है, पर विधायक जब अपने फायदे के लिए खेल करते हैं जो जनता जरूर से जरूर सबक सिखाती है।