लखनऊ :प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन की बड़ी लापरवाही जहरीले केमिकल के चलते 20 भैंसों की मौत, दर्जनों बीमार! The Indian opinion

एक तरफ सरकार पर्यावरण प्रदूषण को लेकर लगातार गंभीरता जाहिर कर रही है, देश के प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने के लिए पर्यावरण की स्वच्छता पर जोर दे रहे हैं दूसरी तरफ जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों की मिलीभगत से वातावरण में फैलने वाले जहर की मात्रा इतनी बढ़ती जा रही है कि इंसान ही नहीं जानवरों के लिए भी जिंदगी बचाना मुश्किल होता जा रहा है।

राजधानी लखनऊ के चिनहट इलाके में ग्रामीण क्षेत्र से बहते हुए एक नाले में अक्सर आसपास के किसानो के मवेशी पानी पीने के लिए जाते हैं ग्रामीणों के मुताबिक पिछले 2 दिनों में इस नाले में पानी इतना जहरीला हो गया कि नाले का पानी पीने वाली दर्जनों भैंसे गंभीर रूप से अस्वस्थ हो गए अचानक कई भैंसों के मुंह से झाग निकलने लगा और लगभग 20 भैंसों ने दम तोड़ दिया।

जहरीले पानी की वजह से नाले में रहने वाले जलीय जीव जंतुओं की भी बड़ी संख्या में मृत्यु हो गई और आसपास का वातावरण दुर्गंध युक्त हो गया है।

दरअसल इसकी बड़ी वजह है लखनऊ के चिनहट इलाके में चलने वाले तमाम उद्योग जिनके द्वारा जिला प्रशासन और प्रदूषण विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से पर्यावरण से जुड़े नियम कानूनों का उल्लंघन किया जाता है और बड़े पैमाने पर वातावरण को प्रदूषित किया जाता है। वायु प्रदूषण के साथ-साथ क्षेत्र में भूगर्भ जल और सतह का जल भी प्रदूषित किया जा रहा है यही वजह है कि क्षेत्र के जिस नाले का स्वरूप कुछ दिनों पहले तक साफ पानी की नदी के रूप में था, जहां ग्रामीण और उनके बच्चे खुद भी स्नान कर लिया करते थे और अपने मवेशियों को नहलाते थे, मवेशी बड़े आराम से पानी पीकर स्वस्थ रहते थे, आज उस नाले का पानी इतना जहरीला हो गया है कि कुछ ही देर में मवेशियों की मौत हो रही है।

इस मामले में सूचना मिलने पर स्थानीय समाजसेवी और ग्राम प्रधान संदीप सिंह ने पत्रकारों और अधिकारियों को जानकारी दी जिसके बाद मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने कार्यवाही करते हुए इंडियन पेस्टिसाइड लिमिटेड नाम की एक फैक्ट्री को प्रदूषण फैलाने के आरोप में सीज कर दिया है और फैक्ट्री मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई शुरू कर दी है।

लेकिन यहां पर बड़ा सवाल यह है कि जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारी कर्मचारी आखिर बड़ा नुकसान होने का इंतजार क्यों करते हैं? समय रहते नियमित रूप से फैक्ट्रियों में पर्यावरण से जुड़े नियमों की जांच क्यों नहीं की जाती?.. इस मामले में भी प्रशासन ने यदि लापरवाही न बरती होती तो इस तरह से गरीब किसानों के इतने मवेशियों की जान ना जाती, और राजधानी लखनऊ के पर्यावरण को यह भारी नुकसान ना होता !

रिपोर्ट- देवव्रत शर्मा