धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विश्वकर्मा पूजा हर साल अश्विन माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को शिल्पकार और वास्तुकार भी कहा जाता है।
उक्त के क्रम में द इंडियन ओपिनियन के संवाददाता ने जनपद बाराबंकी के प्रतिष्ठित व्यापारी शिवराज वर्मा की दुकान पर बहुत कम लोगों को देखा।जो विगत वर्षों से काफी भव्य तरीके से विश्वकर्मा पूजा का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाते आ रहे हैं उनके यहां सभी वर्ग के लोग इकट्ठा होते थे। उन्होंने शिवराज वर्मा से इस विषय में बात की तब उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते आज बहुत भव्य तरीके से भगवान विश्वकर्मा का त्यौहार न मनाते हुए केवल पारिवारिक सदस्यों की उपस्थिति में ही इसको मनाया जा रहा है।
उनसे मुलाकात में यह जाना कि भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा क्यों की जाती है और इसका क्या महत्व है।तो उन्होंने बताया कि विश्वकर्मा पूजा को हिंदुस्तान ही नहीं पूरे विश्व में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन कोई भी कारीगर कोई भी राजगीर अपने औजारों का प्रयोग नहीं करते हैं । यहां तक कि एक कील गाड़ने तक की मनाही करते हैं। बड़े-बड़े कल-कारखानों और अन्य कारखाने जिनमें औजारों का या मशीनरी का प्रयोग होता है। समस्त प्रतिष्ठानों को आज के दिन बंद करके साफ सफाई होती है उसके बाद भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा की जाती है, तत्पश्चात प्रसाद का वितरण किया जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते फेस मास्क और शासन प्रशासन द्वारा दी गई गाइडलाइन के हिसाब से ही आज पूजा की गई है इसीलिए आज बहुत ही भव्य तरीके से पूजा न करते हुए एक साधारण तरीके से पूजा की गई है।
इस त्यौहार को हिंदू वर्ग ही नहीं बल्कि मुस्लिम वर्ग भी बहुत उत्साह से मनाता है।
रिपोर्ट – सरदार परमजीत सिंह