अराधना शुक्ला –
विशेषज्ञों के अनुसार वैश्विक मंदी के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हो रहा है। इस बीच आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद विशेषज्ञों ने यह राय जाहिर की है कि देश में वैश्विक मंदी का असर धीरे-धीरे कम हो रहा है और रियल स्टेट समेत सभी कारोबारी क्षेत्रों में उत्साह वर्धक वातावरण निर्मित हो रहा है।
भारत दुनिया के उन शीर्ष देशों में है जो आर्थिक विकास के लिए गरीबी दूर करने के लिए और रोजगार सृजन करने के लिए व्यवसाय स्थापित करने वालों को कम से कम समय में अधिकतम सहयोग दे रहा हैl आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में ऐसे कई तथ्यों का वर्णन किया गया है।
आर्थिक समीक्षा बीते वित्तीय वर्ष का लेखा-जोखा होता है। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपॉरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने संसद में 2020 -21 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। सर्वेक्षण में इस साल आर्थिक वृद्धि दर 6- 6.50 फ़ीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। 2024-25 तक भारत की जीडीपी को 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के लिए 8 प्रतिशत वृद्धि दर की आवश्यकता है, सरकार इसके लिए कोशिशें भी कर रही है।
भारत की आर्थिक वृद्धि दर घटने के पीछे सरकार ही जिम्मेदार नहीं है इसके लिए वैश्विक आर्थिक दर की भागीदारी भी उतनी ही है। वर्तमान में वैश्विक आर्थिक गतिविधि संतोषजनक स्थिति में ही है। इन सबके बीच एक अच्छी खबर है,कि भारत के भुगतान संतुलन में 20.8% का इजाफा हुआ है।
इसके पीछे की वजह है 2018-19 का चालू खाता घाटा, जो कि 2.1 था। वह 2019 -20 की पहली छमाही में जीडीपी का 1.5% हो गया। भुगतान संतुलन के चालू खाता एवं कैपिटल खाता दोनों में ही वृद्धि की वजह से भुगतान संतुलन में सुधार देखने को मिला है। निवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह काबिले तारीफ रही है, और 2019-20 के पहले 8 महीनों में 24.4 बिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित हुआ है। जोकि 2018-19 की समान अवधि की तुलना से काफी अधिक है।
2019-20 की पहली छमाही में अप्रवासी भारतीयों द्वारा भारत में भेजी गई कुल रकम 2018-19 में कुल प्राप्तिओं से 50 प्रतिशत से भी अधिक 38.4 बिलियन डॉलर रही। विश्व बैंक की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार 17.5 मिलियन अप्रवासी भारतीयों ने भारत को 2018 में विदेशों से प्राप्त होने वाली रकम के मामले में शीर्ष पर पहुंचा दिया है।
अगर बात की जाए विदेशी मुद्रा भंडार की तो यह अभी संतोषजनक स्थिति में है। भारत का विदेशी मुद्रा भण्डार 10 जनवरी 2020 तक 461.2 बिलियन डॉलर रहा।
ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस इंडेक्स में भारत अब तक के सर्वश्रेष्ठ स्थान पर है। विश्व बैंक द्वारा निगरानी किए जाने वाले संकेतक ‘ट्रेडिंग एक्रॉस बॉर्डर्स’ के अंतर्गत व्यापार सहायता में भारत की रैंकिंग 2016 के 143वें स्थान से सुधर कर 68 हो गई है। डिजिटल तथा सतत व्यापार सहायता 2019 पर संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक सर्वेक्षण में भारत ने न केवल व्यापार सहायता इसको 69% से बढ़कर 80% कर लिया है बल्कि एशिया प्रशांत तथा दक्षिण और दक्षिण पश्चिम एशिया क्षेत्र में अन्य क्षेत्रों को पीछे छोड़ दिया है। आयात के लिए डायरेक्ट पोर्ट डिलीवरी (डीपीटी) और आयात के लिए डायरेक्ट पोर्ट एंट्री (डीपीई) को तेजी से मंजूरी को प्रोत्साहित करने वाली योजना बताया गया है। समर्थनकारी दस्तावेजों को ऑनलाइन दाखिल करने के लिए ‘ई-संचित’ और भारतीय कस्टम के लिए अगली पीढ़ी का सॉफ्टवेयर ‘तुरंत’को भी सफल बताया गया है।