रिपोर्ट – आराधना शुक्ला
कोरोना वायरस महामारी से न सिर्फ देश के भीतर रहने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है,बल्कि ऐसे भी लोग हैं जो समुद्र में फंसे हुए हैं, उनको भी परेशानियां उठानी पड़ रही है। दुनिया भर की कई सारी क्रूज़ और ट्रेडिंग शिप समुद्र में अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को पार न कर पाने की वजह से जहां की तहां फंसी पड़ी हैं। इस समस्या को देखते हुए भारत सरकार अपने नागरिकों को वापस लाने में जुट गई है। केंद्रीय जहाजरानी राज्यमंत्री मनसुख मांडवीया ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबंधित एजेंसियों से भारतीय नाविकों का विवरण देने को कहा है। जिससे उनको वापस भारत लाया जा सके। क्रूज़ और मालवाहक पोतों पर काम करने वाले हजारों भारतीय नाविक अंतरराष्ट्रीय जलमार्गों में फंसे हैं, जिनके भारत वापिस आने का रास्ता अब साफ हो गया है।
मांडवीया ने विभिन्न नाविक संघों को आश्वस्त किया है, कि जैसे ही स्थिति अनुकूल होगी इन नाविकों को शीघ्र निकालने की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने पीटीआई से बातचीत में कहा कि, “मैं इस कठिन समय में भारतीय नाविकों के समक्ष चुनौतियों को लेकर चिंतित हूं। मैं इस कठिन समय में दुनिया की आपूर्ति श्रृंखला को चालू रखने में उनके योगदान की सराहना करता हूं।”
गौरतलब है कि समुद्र क्षेत्र से जुड़ी एजेंसियों/निकायों ने प्रधानमंत्री कार्यालय और पोत परिवहन मंत्रालय से फंसे हुए नाविकों को निकालने में हस्तक्षेप की मांग की थी। जिसके बाद सरकार की तरफ से यह कदम उठाया गया है।
कुछ दिन पहले इंटरनेशनल चेंबर ऑफ शिपिंग के जनरल गे प्लेटिन के हवाले से जानकारी साझा की गई थी, कि इस समय 1.2 मिलियन नाविक समुद्र में फंसे हुए हैं।
दुनिया में सबसे ज्यादा नाविकों की संख्या फिलीपींस के पास है फिर दूसरे नंबर पर भारत का स्थान है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत के नाविकों की कितनी बड़ी संख्या इस वक्त समुद्र में फंसी हुई है।
वायरस के चलते कई सारी अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमाएं सील कर दी गई है। जिससे ट्रेडिंग शिप और क्रूज शिप्स समुद्र में जहां की तहां फंसी हुई हैं। इस हालात को देखते हुए भारत सरकार अपने नाविकों को निकालने की रणनीति बना रही है।
दुनिया की कई बड़ी क्रूज़ शिप्स इस वक्त समुद्र में फंसी हुई है। फरवरी महीने में एक खबर सामने आई थी जिसमें कहा गया था कि ताइवान के नजदीक एक जापानी क्रूज शिप डायमंड प्रिंसेज़ में करीब 3700 लोग थे, जिनको कोरोना वायरस होने की आशंका में जहाज में ही क्वॉरेंटाइन कर दिया गया था। इसमें सवार यात्री वायरस के संक्रमण होने की आशंका से खौफ में जीने को मजबूर हैं। ठीक इसी तरह का एक और मामला है, ब्रिटिश-अमेरिकी क्रूज़ शिप जंडम का है, जिसको कोविड-19 महामारी के चलते पनामा नहर और फ़ोर्ट लाउडरडेल तक नहीं जाने दिया गया। क्योंकि इसमें चालक दल के एक व्यक्ति और चार यात्रियों की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई थी। इसमें करीब 1000 यात्री और चालक दल के सदस्य हैं, जो समुद्र में फंसे हुए हैं। इसमें सवार यात्री जो छुट्टियां मनाने के लिए निकले थे, वे कहते हैं कि, ऐसा लगता है मानो यह छुट्टियां लाइफ टाइम के लिए हो गई हैं। उनका मनोबल इसलिए भी टूटता नजर आ रहा है क्योंकि जहां-जहां भी क्रूज़ गया, किसी भी बंदरगाह ने अपने यहां उतरने की इजाजत नहीं दी।
इस तरह की परिस्थितियों को देखते हुए भारत सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम अपने नाविकों को सुकून देने वाला है। जहाजरानी मंत्रालय की तरफ से भी नाविकों का शुक्रिया किया गया है जो इस विपरीत परिस्थिति में भी अपना काम कर रहे हैं। करीब एक लाख भारतीय नाविकों को जल्द ही अपनी धरती पर वापस लाने की कवायद शुरू कर दी जाएगी।