देवव्रत शर्मा –
देश की राजनीति में गरीबों के लिए घड़ियाली आंसू बहाने वाले नेताओं की कमी नहीं है लेकिन सियासत के किरदार को अगर बारीकी से देखा जाए तो यह बात सामने आती है कि गरीबों और कमजोर के लिए भले ही सरकारी पैसे की कमी का रोना रोती हैं लेकिन पहले से ही अमीर और ताकतवर लोगों को सरकारी मेहरबानी की कमी नहीं होती।
पिछले दिनों जेएनयू में दीपिका पादुकोण ने पहुंचकर भाजपा विरोधियों का समर्थन क्या कर दिया कांग्रेसियों और भाजपाइयों में तलवारें खिंच गई और अब सियासत जमीनी मुद्दों पर नहीं हो रही फिल्मों पर हो रही है l कांग्रेसी और वामपंथी दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक के समर्थन में ढिंढोरा पीट रहे हैं वहीं भाजपा और हिंदुत्व विचारधारा के समर्थक अजय देवगन की तानाजी के समर्थन में कसीदे कर रहे हैं।
देश की राजनीति के लिए निश्चित तौर पर एक शर्मनाक सच्चाई है कि गरीबों और बेरोजगारों के लिए चर्चा किए जाने के बजाय मीडिया का भी एक बड़ा हिस्सा फिल्मों की प्रतिस्पर्धा में ही चर्चा करने में व्यस्त है जिसका लाभ उन फिल्म निर्माताओं को ही मिलना है जो पहले से अरबपति हैं।
शुरुआत कांग्रेस पार्टी ने की,पहले कांग्रेसी शासित राज्यों में दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक टैक्स फ्री किया गया इसके बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा समर्थकों ने फिल्म तानाजी को टैक्स फ्री करने की मांग शुरू कर दी और योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश में अजय देवगन की फिल्म तानाजी को टैक्स फ्री कर दिया।
कुल मिलाकर दो विचारधाराओं की लड़ाई में फिल्म निर्माताओं को खूब फायदा हो रहा है ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि बहुमत से चुनकर आई सरकारों को क्या यही नहीं सोचना चाहिए कि अपने सियासी दांवपेच में ऐसे फैसले ले रही हैं जिनका जनहित से कोई वास्ता नहीं है और उनकी सियासी नफरत में फिल्मी दुनिया के कारोबारियों को बेजा फायदा मिल रहा है।