हिंदू मुस्लिम को लड़ाने की सियासत से बेअसर दो युवाओं ने पेश की देश सेवा और दोस्ती की अनोखी मिसाल! Special Story

रिपोर्ट – देवव्रत शर्मा/आदित्य कुमार

हिंदू मुस्लिम की सियासत करने वाले भले ही देश और समाज को बंटवारे की ओर धकेलने में अपनी ताकत लगाए रहते हैं,
लेकिन तमाम हिंदू मुस्लिम दोस्तों की वफादारी और नेक नियति के दम पर, समाज में भरोसा और एक दूसरे का सहयोग, पहले भी कायम था ,आज भी कायम है और आगे भी कायम रहेगा।

बाराबंकी के दो, दोस्तों ने भी आपसी विश्वास और भरोसे की ताकत से हजारों दिलों को राहत पहुंचाने का काम किया है।

सच्चे मुसलमान उस्मान सिद्दीकी और सच्चे हिंदू अजीत झा की दोस्ती लोगों की जुबान पर है ,वैसे तो यह दोनों सालों पुराने दोस्त हैं लेकिन 23 मार्च को जब देश के प्रधानमंत्री ने देशभर में लॉक डाउन घोषित कर दिया तो दैनिक रोजगार करने वाले तमाम गरीब और तमाम मजदूर वर्ग के लोगों के लिए मुश्किलें पैदा हो गई।

अजित झा

कोरोनावायरस की महामारी से बचने और बचाने के लिए पूरे देश के लोगों ने प्रधानमंत्री की बातों को गंभीरता से स्वीकार किया अब बड़ी चुनौती थी गरीबों को भूख से बचाने की इस काम को करने के लिए सरकारी तंत्र के अलावा तमाम समाजसेवी भी आगे आए।

बाराबंकी में माल गोदाम रोड के पास रहने वाले अजीत झा और उस्मान सिद्दीकी ने इस चुनौती को देश और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी के रूप में स्वीकार किया। तब से लगातार अजीत झा और उस्मान सिद्दीकी अपने दोस्तों और तमाम सहयोगियों के साथ मिलकर पके हुए भोजन के पैकेट और कच्चा राशन जरूरतमंदों को बांटने की सेवा कर रहे हैं।

उनका यह अभियान अनवरत जारी है शहर में रेलवे स्टेशन समेत दो स्थानों पर उन्होंने जनता किचन भी खोल दिया है, जहां आसपास के जरूरतमंद मौके पर पहुंचकर पका हुआ भोजन हासिल कर सकते हैं।

उस्मान सिद्दीकी

इसके अलावा वह खुद अपने चार पहिया वाहन में भोजन के पैकेट लादकर घूम घूम के शहर के अलग-अलग इलाकों में बांटने का भी काम कर रहे हैंl हाइवे से गुजरने वाले आवश्यक वाहनों , और शहर की गलियों में रहने वाले गरीबों तक अजीत झा उस्मान सिद्दीकी की दोस्ती की खुशबू भोजन और राशन के पैकेट के माध्यम से पहुंच रही है।

पुलिस प्रशासन और राजनीति से जुड़े लोग भी दोनों की सेवा भाव और दोस्ती की तारीफ करते हैं और उनके जनता किचन पर पहुंचकर उनका मनोबल बढ़ाते हैं।

बाराबंकी के हिंदू मुस्लिम दोस्तों किए कहानी कभी खत्म नहीं होगी, क्योंकि हिंदुस्तान के हर गांव शहर में ऐसे हजारों लाखों दोस्त हैं जो आज भी एक दूसरे पर भरोसा करते हैं और मिलकर अपने देश के सामने आने वाली किसी भी मुश्किल के सामने चट्टान बनकर खड़े हो जाते हैं।

जब तक देश सेवा को सबसे बड़ा धर्म सबसे बड़ा मजहब मारने वाले हिंदू मुसलमान हिंदुस्तान में कायम है तब तक हर मुश्किल में हिंदुस्तान की जीत होगी।

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