शीर्ष सैन्य अधिकारियों और नेताओं ने शुक्रवार को चीन के साथ तनाव कम करने के लिए होने वाली बातचीत के मसौदे पर चर्चा की। सीमा पर तनाव कम करने के मुद्दे पर सैन्य स्तर पर सातवें चरण की बातचीत 12 अक्टूबर को होगी। दोनों पक्षों की बातचीत पूर्वी लद्दाख स्थित चुशूल मोल्डो में होगी।
अप्रैल माह से ही दोनों देशों की ओर से करीब 50 हजार सैनिक आमने-सामने हैं। भारत ने पहले ही साफ कर दिया है कि पूरे पूर्वी लद्दाख क्षेत्र से सैनिकों को हटाने के मुद्दे पर ही आगे की बातचीत होगी। सातवें चरण की बातचीत के लिए फायर एंड फरी कॉर्प्स के मौजूदा कमांडर लेफ्टिनेंट हरिंदर सिंह और उनकी जगह लेने वाले लेफ्टिनेंट पीजीके मेनन लेह पहुंच गए हैं।
लेफ्टिनेंट मेनन 14 अक्टूबर को कॉर्प्स कमांडर का पदभार लेंगे। उन्हें सैन्य ऑपरेशनों का लंबा अनुभव है। तनाव कम करने के लिए होने वाली बातचीत की रुपरेखा तैयार करने चाइना स्टडी ग्रुप बनाया गया । इसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजित डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया शामिल हुए।
सेना के सूत्रों के मुताबिक, दक्षिणी पैंगॉन्ग के विवादित इलाके में पूरी तरह से भारत का कब्जा है। यहां की कई चोटियों पर सेना मौजूद है। सेना की तरफ से कहा गया है कि चोटियों पर हमारे जवान इसलिए काबिज हैं, क्योंकि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) को लेकर भारत की स्थिति एकदम साफ है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि मुश्किल समझे जाने वाले स्पांगुर गैप, स्पांगुर झील और इसके किनारे की चीनी सड़क पर भी भारतीय सेना ने कब्जा कर लिया है। चीन लद्दाख सीमा पर कई चोटियों पर अपना दावा करता रहा है। वह पैंगॉन्ग झील के पूरे दक्षिणी हिस्से और स्पांगुर गैप पर भी कब्जा करना चाहता था, ताकि बढ़त हासिल कर सके।
रिपोर्ट – विकास चन्द्र अग्रवाल