इंसानों की बढ़ती दखल और हिमालय क्षेत्र में बढ़ते तापमान से टूट रहे हैं ग्लेशियर यानी बर्फ के पहाड़।
ग्लेशियर टूटने के चलते उत्तराखंड के चमोली में हुआ बड़ा हादसा एक दर्जन लोगों की मौत डेढ़ सौ से ज्यादा लोग धौली गंगा नदी के तेज बहाव में हुए लापता।
राहत और बचाव के लिए लगाई गई आइटीबीपी एनडीआरएफ एसडीआरएफ और उत्तराखंड पुलिस।
दरअसल यह कोई पहली घटना नहीं है जब बढ़ती आबादी प्रदूषण और तापमान की वजह से हिमालयन क्षेत्र में संतुलन बिगड़ा और तबाही का प्रकोप सामने आया। भारत सरकार की गलत नीतियों के चलते अति संवेदनशील हिमालयन क्षेत्र में लगातार आबादी और प्रदूषण बढ़ रहा है हजारों वर्ष पुराने पहाड़ों से छेड़छाड़ हो रही है पहाड़ों को काटकर तोड़कर सड़कें और बहुमंजिला इमारतें हिमालयन क्षेत्र में बनाई जा रही हैं।
देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग हिमालयन क्षेत्र में बसते जा रहे हैं और आबादी बढ़ने की वजह से हिमालय क्षेत्र में प्रदूषण और तापमान भी तेजी से बढ़ रहा है जिसकी वजह से पहाड़ों के ऊपर जमी करोड़ों टर्न बर्फ पिघल रही है और कई स्थानों पर बर्फीले पहाड़ यानी ग्लेशियर भी खिसक रहे हैं टूट रहे हैं जिसके चलते नदियों में अचानक बाढ़ आ जाती है तो कभी बादल फटने जैसी घटनाएं होती हैं।
कुछ वर्षों पहले केदारनाथ में हुई भीषण तबाही भी इन्हीं कारणों से आई थी लेकिन इसके बावजूद संवेदनशील हिमालय क्षेत्र में सरकार ने प्राकृतिक जरूरतों को समझते हुए नियमों को लागू नहीं किया। पहाड़ी नदियों पर जगह-जगह बिजली बनाने के लिए बांध बना दिए गए पर्यटन से भारी कमाई करने के लिए ढेर सारे होटल और गेस्ट हाउस पहाड़ों के ऊपर बना दिए गए।
कुल मिलाकर पहाड़ों पर तेजी से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है बिल्डिंगों की संख्या बढ़ती जा रही है जिसकी वजह से पहाड़ ओवरलोड हो रहे हैं और कमजोर हो रहे हैं दरक रहे हैं टूट रहे हैं।
यह हादसा भी एक चेतावनी है जिसको समझने की जरूरत है ऐसे हादसे अक्सर सैकड़ों बेगुनाहों की मौत का कारण बनते हैं देश को चलाने वाली सरकार इन पर आंसू बहाती हैं मुआवजे बांटते हैं और उसके बाद फिर पहाड़ों के दोहन में जुड़ जाते हैं।
हिमालय क्षेत्र का यदि सम्मान नहीं किया गया और ऐसे ही पहाड़ों से छेड़छाड़ होती रही तो तबाही की यह दास्तान कुदरत की ओर से बार-बार लिखी जाएगी और इंसानियत हर पल बर्बादी की ओर बढ़ती जाएगी। फिलहाल चमोली में हुए इस हादसे के बाद राहत और बचाव कार्य जारी है लगभग एक दर्जन लोगों के मौत होने की पुष्टि की बात कही जा रही है और डेढ़ सौ से ज्यादा लोग लापता है बहुत से लोगों के शव भी नहीं मिल पाए हैं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत पुलिस और आईटीबीपी के बड़े अधिकारी क्षेत्र में राहत बचाव कार्य की निगरानी कर रहे हैं उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के उन सभी जनपदों को हाई अलर्ट कर दिया गया है जहां से गंगा नदी गुजरती है क्योंकि यह विशाल जल राशि गंगा के जलस्तर में भारी वृद्धि कर सकती है।
हमें उम्मीद करनी चाहिए कि उत्तराखंड में हिमालयन क्षेत्र में बार-बार हो रहे हादसे सरकार को विनाशकारी विकास की अंधी दौड़ से रोकने का काम करेंगे और संपूर्ण हिमालयन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए कठोर नियम लागू किए जाएंगे!
द इंडियन ओपिनियन के लिए उत्तराखंड से आलोक नेगी के साथ लखनऊ से नितेश मिश्रा की रिपोर्ट