होनहार स्टूडेंट था असद,लंदन से कानून की पढ़ाई कर के भारत में बड़ा वकील बनना चाहता था लेकिन…

दीपक मिश्रा
द इंडियन ओपिनियन
लखनऊ

बाप अतीक अहमद ने उसे जाने अनजाने जुर्म की राह में ढकेल दिया और एक नौजवान अपराध के दलदल में ऐसा डूबा कि उसकी शुरू होने के पहले ही खत्म हो गई।

अनीति अत्याचार और अपराध के रास्ते पर जो हाल रावण और उसके परिवार का हुआ था जो हाल रावण के बेटे मेघनाथ का हुआ था वही हाल अतीक अहमद के परिवार का हो रहा है वही हाल अतीक के तीसरे नंबर के बेटे असद का हुआ ।

अपराध और अत्याचार करने वाले ज्यादा दिन तक सुखी जीवन नहीं जी सकते और यह बात हर अपराधी को समझनी चाहिए, सौ मुकदमे दर्ज होने के बाद भी अतीक अहमद ने कभी अपने गुनाहों से तौबा नहीं किया कभी पश्चाताप नहीं किया ।

दहशत का आलम यह था कि एक बार हाईकोर्ट के जजों ने भी अतीक के मामले की सुनवाई करने से मना कर दिया था मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए अतीक अहमद ने प्रयागराज ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश में जमकर तांडव किया था सोनिया गांधी के रिश्तेदारों की प्रॉपर्टी भी कब्जा करने की कोशिश की थी। मायावती की सरकार में भी उस पर ज्यादा असर नहीं हुआ लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद अतीक अहमद लगातार कमजोर होता गया लेकिन इस दौरान भी वह जेल के अंदर से आपराधिक नेटवर्क संचालित कर रहा था।

अतीक अहमद और उसके छोटे भाई अशरफ के जेल में बंद होने के बाद परिवार में अतीक अहमद के गैंग को संभालने वाला कोई नहीं बचा असद के दूसरे भाई भी जेल पहुंच गए थे ऐसे में उसे ना चाहते हुए भी अपने पिता का बनाया हुआ साम्राज्य बचाने के लिए जुर्म की दुनिया में आगे आना पड़ा उमेश पाल हत्याकांड के प्लान को अंजाम देने के दौरान वहां खुद गाड़ी में मौजूद था अतीक अहमद और अशरफ ने उसे गाड़ी से ना उतरने के निर्देश दिए थे लेकिन असद को जब यह लगा कि उमेश पाल की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी जवाबी फायरिंग कर देंगे और प्लान फेल हो जाएगा तो वह खुद पिस्टल हाथ में लेकर उमेश पाल को मारने दौड़ा और उसने उमेश पाल को गली में दौड़आते हुए ताबड़तोड़ कई गोलियां चलाई सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है कि फिल्मी अंदाज में असद दिनदहाड़े उमेश पाल और पुलिसकर्मियों पर गोलियां चला रहा था बेगुनाहों की जान लेते हुए असद के हाथ नहीं काट रहे थे और उसका यह गुनाह उसका आखरी गुनाह बन गया।

जानकारों के मुताबिक यह शूटआउट अतीक अहमद गैंग ने इसलिए अंजाम दिया क्योंकि यूपी में पिछले 6 वर्षों से योगी आदित्यनाथ की सरकार होने की वजह से प्रयागराज और आसपास के जनपदों में अतीक अहमद का डर खत्म हो गया था कोई भी उसको रंगदारी देने को तैयार नहीं था लोगों ने डरना बंद कर दिया था इसीलिए एक बार फिर से समाज में अपनी दहशत को स्थापित करने के लिए और उमेश पाल को सबक सिखाने के लिए हत्याकांड को अंजाम दिया गया।

अपराध के रास्तों पर चलने वालों को कभी चैन और सुकून नहीं मिलता अतीक अहमद के अपराध अत्याचार की वजह से जहां सैकड़ों परिवारों ने तकलीफ उठाई वही खुद उसका परिवार पहले तो शान और शौकत की जिंदगी जी रहा था लेकिन सियासत का खेल बदलते ही पिछले कई सालों से पति का परिवार भी परेशान रहने लगा परिवार के नौजवान बच्चे भी जुर्म के दलदल में फंस गए ।

असद एक होनहार स्टूडेंट था पढ़ाई में तेज था लंदन से कानून की पढ़ाई करना चाहता था विदेशी यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए उसने ऑनलाइन आवेदन भी किया था पासपोर्ट भी अप्लाई किया था लेकिन पिता के आपराधिक इतिहास की वजह से असद को पासपोर्ट समय से नहीं मिल पाया और लंदन जाकर कानून की पढ़ाई करने का सपना सपना ही रह गया और आखिरकार एनकाउंटर में उसने अपनी जान गवा दी।

इस घटना के बाद समाज को और अपराध से जुड़े लोगों को जरूर अपने गिरेबान में झांकना चाहिए क्योंकि झूठी शान और जुर्म से कमाई काली दौलत के लिए वह अपने परिवार और अपने मासूम बच्चों को भी अपराधी बनाकर मौत के रास्ते पढकेल रहे हैं।

जो नौजवान देश का जिम्मेदार नागरिक बन सकता था वह अपराधी बन गया और लोगों की जान लेने लगा , उसने अपनी जान भी गंवा दी।

ऐसी घटनाओं के लिए अतीक अहमद जैसे लोग तो सबसे पहले जिम्मेदार है और जिम्मेदार वह मुख्यमंत्री भी हैं जिन्होंने माफियाओं को संरक्षण दिया, जिम्मेदार है पुलिस प्रशासन के वह अधिकारी जिन्होंने समय रहते अपना फ़र्ज़ नहीं निभाया और ऐसे अपराधियों को बड़ा माफिया और अंडरवर्ल्ड डॉन बनने का मौका दिया।

 

ब्यूरो रिपोर्ट द इंडियन ओपिनियन

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