#AU राजनीति का अखाड़ा “पूरब का ऑक्सफोर्ड”,छात्र गुटों के दबाव में कुलपति का इस्तीफा समर्थन में शिक्षकों ने भी की आंदोलन की घोषणा! The Indian opinion

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ चली लम्बी खींचतान के बाद आखिरकार बुधवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रतन लाल हांगलू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

यह लगातार दूसरा मौका है,जब इविवि के कुलपति ने इस्तीफा दिया। स्मृति ईरानी के कार्यकाल में पद सम्भालने वाले हांगलू का कार्यकाल इस साल दिसंबर में पूरा हो रहा था। उन पर आर्थिक अनियमितता समेत कई आरोप लगाए गए थे, हालांकि ये आरोप जांच में साबित नहीं हुए थे।

कुलपति की जांच करने का एचआरडी मंत्रालय का अनुरोध राष्ट्रपति लौटा भी चुके थे। मालूम हो, पिछ्ले सप्ताह ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इविवि में नियुक्तियों पर लगी रोक को हटाया था।दो दिन पहले 30 दिसंबर 2019 को अपने कार्यकाल का चार साल पूरा करने वाले कुलपति इविवि के सर्वाधिक विवादित वीसी के रूप में याद किए जाएंगे। प्रो. हांगलू की एक महिला से कथित अंतरंग बातचीत का आरोप सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण घटना मानी गई। उनके करीबियों की मानें तो कुलपति का कहना है कि इविवि में शिक्षक भर्ती पर लगी रोक हट चुकी है। इसे वह खुद को दोषमुक्त मानते हुए कुलपति के रूप में कार्य करने में असमर्थता जताई है। प्रो. हांगलू ने 30 दिसंबर 2015 को कार्यभार ग्रहण किया था।

चार साल के कार्यकाल में आई तीन जांच कमेटी प्रो. हांगलू के चार साल के कार्यकाल में तीन जांच कमेटियां इविवि में आई थीं। राष्ट्रीय महिला आयोग की कमेटी 10 व 11 दिसंबर को आई थी जबकि पूर्व की दोनों कमेटी मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भेजी थी। यह भी इस्तीफे का एक कारण माना जा रहा है। महिला से बातचीत के ऑडियो को लेकर अशांत रहा इविवि प्रयागराज। एक महिला से कथित अंतरंग बातचीत के वायरल ऑडियो ने कुलपति प्रो. एके हांगलू की छवि को धक्का पहुंचाया था। इविवि के पूर्व अध्यक्ष रोहित मिश्रा ने ऑडियो मीडिया के सामने जारी कर सनसनी फैला दी थी। इस ऑडियो को लेकर विश्वविद्यालय काफी दिन अशांत रहा। बाद में विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले की जांच हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जस्टिस अरुण टंडन को सौंप दी थी। जांच के दौरान कुलपति लंबी छुट्टी पर चले गए थे। जांच में क्लीन चिट मिलने के बाद प्रो. हांगलू लौटे थे। इस मामले को लेकर इविवि के छात्रों ने कुलपति को हटाने की मांग को लेकर लंबा आंदोलन चलाया था। छात्र नेताओं ने यूपी से दिल्ली तक शिकायतें की लेकिन कुलपति बचते रहे।

वही ऋचा सिंह ने धरने के दौरान कई संगीन आरोप इलाहाबाद कुलपति रतन लाल हांगलू के ऊपर लगाए है जिसमे सबसे अहम आरोप ये है की वीसी छात्राओं के कमरे मे रात मे अपने आदमी भेजते है और कई काम करने वाले ठेकेदार वहां काम करने के दौरान छात्राओं से छेड़छाड़ करते है ये काम कई दिनों से चल रहा है जब इसकी शिकायत करने ऋचा सिंह चीफ प्रॉक्टर के पास गयी तो उनकी बात सुनी नहीं गयी और उन्हें मजबूरन धरने का रास्ता अपनाना पड़ा क्योंकि वीसी ना तो ऋचा सिंह से मिल रहें है और ना ही मीडिया के सामने आ रहें है

पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह ने आरोप लगया है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के महिला हॉस्टल परिसर में कई वर्षों से निर्माण कार्य चल रहा है लेकिन इस बीच निर्माण कार्य में लगे ठेकेदार के लोग शाम छह बजे के बाद भी हॉस्टल में आते-जाते हैं और अश्लील हरकत भी करते हैं। उन्होंने यूजीसी चैयरमैन से व्यक्तिगत रूप से मिलकर पूरे मामले से अवगत कराते हुए हॉस्टल में छात्राओं की सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया।

ऋचा ने यूजीसी चेयरमैन से शिकायत की है कि ठेकेदार के लोग पूरी रात बेरोकटोक हॉस्टल परिसर में आते-जाते रहते हैं। उन्हें कोई परिचय पत्र भी जारी नहीं किया गया है। कई बार उन्हें अश्लील हरकतें करते हुए देखा गया। यूजीसी की गाइड लाइन है कि महिला हॉस्टल परिसर में शाम छह बजे के बाद निर्माण कार्य नहीं होगा लेकिन विश्वविद्यालय में इस गाइडलाइन की अनदेखी की जा रही है। छात्राओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं जिससे किसी भी दिन बड़ी घटना हो सकती है।
ऋचा सिंह ने चेयरमैन से मांग की है कि निर्माण कार्य में लगी फर्म को छात्रावास परिसर में प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से फर्म को ब्लैक लिस्टेड किया जाए। यह जांच कराई जाए कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस संज्ञान में क्यों नहीं लिया की ठेकेदार के लोग और उसके दोस्त बिना वैध पास के कैसे प्रवेश कर रहे हैं| महिला छात्रावास में कार्य करने संबंधी गाइडलाइन तैयार की जाए।
वहीं, इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऋचा सिंह पर महिला छात्रावास में तय समयावधि से ज्यादा रहने का आरोप लगाकर उन्हें छात्रावास खाली करने का नोटिस थमाया है। बता दे कि इसी संदर्भ मे ऋचा सिंह को छात्रावास खाली करने के लिए चार बार नोटिस दिया जा चुका है।

पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह की शिकायत पर प्रयागराज पहुंचीं राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रतन लाल हांगलू पर लगाए गए यौन उत्पीडऩ की जांच करेगी। टीम ने कुलपति को प्रकरण में अपना पक्ष रखने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दी है। यह जानकारी राष्ट्रीय महिला आयोग नई दिल्ली की सदस्य डॉ. राजुल बेन एल देसाई ने पिछले बुधवार को सर्किट हाउस में प्रेसवार्ता में दी।
गौरतलब है कि इविवि की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह ने दो दिसंबर को नई दिल्ली में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव और राष्ट्रीय महिला आयोग के चेयरपर्सन से मिलकर आरोप लगाया था कि इविवि के महिला हॉस्टल परिसर में कई वर्षों से निर्माण कार्य चल रहा है। निर्माण कार्य में लगे ठेकेदार के लोग शाम छह बजे के बाद भी हॉस्टल में आते-जाते हैं और अश्लील हरकत करते हैं।
पिछले बुधवार को टीम ने सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि जांच में ऋचा के सभी आरोप सही मिले। बुधवार की सुबह टीम कुलपति से मिलने विश्वविद्यालय पहुंची तो पता चला कुलपति विदेश यात्रा पर हैं। ऐसे में टीम ने रजिस्ट्रार प्रो. एनके शुक्ला से बातचीत की।

36 बार हाईकोर्ट की अवमानना, चार जांच कमेटियों का सामना करना पड़ा ।
प्रयागराज। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रतन लाल हांगलू पहले ऐसे कुलपति हैं जिन्होंने 36 से ज्यादा बार इलाहाबाद हाईकोर्ट की अवमानना की। उनके इस व्यवहार के कारण हाईकोर्ट को यह टिप्पणी तक करनी पड़ी कि य‌दि आप कुलपति न होते तो आपको जेल भेज दिया जाता। इसके अलावा हांगलू के कार्यकाल में तीन जांच कमेटियां आईं। पहली बार 08 मई 2017 को इविवि में हुए बवाल, तोड़फोड़ और आगजनी के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर ने एक फैक्ट फाइंड‌िंग कमेटी को जांच के लिए भेजा था। कमेटी के सदस्यों ने इविवि प्रशासन से बातचीत करने के बाद छात्रसंघ भवन पर अनशन पर बैठे छात्रों से मुलाकात की। इस दौरान छात्रों ने कमेटी को कुलपति के कारनामे को एक-एक कर गिनाया था। 13 नवंबर 2017 में दूसरी जांच कमेटी फिर मंत्रालय से आई। हालांकि, इन दोनों कमेटियों की जांच के बाद भी कुलपति पर कोई फर्क नहीं पड़ा। इसके बाद दो दिसंबर को छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह ने राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन रेखा शर्मा से मिलकर छात्रावास में निर्माण कार्य में लगे ठेकेदार और बाहरी व्यक्तियों के अश्लील हरकत शिकायत की। यह मसला सपा की सांसद जया बच्चन ने राज्यसभा में भी उठाया था। ऋचा की शिकायत पर 10 दिसंबर को आयोग की टीम इविवि पहुंची। टीम ने दो दिन रुककर इविवि प्रशासन और छात्राओं से बात की। इसके बाद आयोग ने कुलपति को तलब कर लिया। कुलपति आयोग पहुंचे और जवाब भी दिए लेकिन आयोग संतुष्ट नहीं रहा। ऐसे में तीसरी जांच कमेटी प्रोफेसर हांगलू पर इस कदर भारी पड़ी कि उन्हें चौथी जांच कमेटी आने से पहले ही इस्तीफा देना पड़ा। उनके खिलाफ चौथी जांच कमेटी विश्वविद्यालय खुलने पर जनवरी के दूसरे हफ्ते में आने वाली थी। फिलहाल रिचा सिंह और छात्र संघ नेताओं की एक प्रकार से आज जीत हुई है और इसका जश्न देखने को भी मिला है जिस हिसाब से रिचा सिंह और छात्र संघ के बच्चों ने आज यूनिवर्सिटी के अंदर जाकर के रंगारंग खेल और अपने आपस में गले मिलने का कार्यक्रम प्रस्तुत किया है इससे तो कहीं ना कहीं सीधा तमाचा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वीसी पर लगा है अब देखना यह है कि इस्तीफा तो बीसी साहब ने दे दिया है लेकिन स्वीकार कब तक होता है जो अपने आप में एक सोचने की बात है क्योंकि सारा स्टाफ विश्व की मदद में खड़ा हो गया है और आखिर मदद करके क्या दिखाना चाहता है कि जिस हिसाब से बीसी पर दाग लगे हैं क्या वह सही है या गलत लेकिन छात्रों की धरने की एक बड़ी जीत हुई है जिस पर वीसी को झुकना पड़ा और इस्तीफा देना पड़ा

वीसी की पूरी टीम ने एक साथ दिया इस्तीफा

छात्रों ने मनाया विजय दिवस
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने कुलपति रतन लाल हांगलू के साथ उनकी टीम का स्तीफा हो जाने के बाद विश्विद्यालय परिसर और सड़कों पर जम कर जश्न मनाया।छात्र नेताओं ने इसे अपनी जीत बताया साथ ही कुलपति के रवैये को इसका जिम्मेदार बताते हुए एक दूसरे को मिठाई खिलाई।आज के दिन को छात्र नेताओं ने विजय दिवस के रूप में मनाया।

छात्रों ने छात्र संघ भवन पर स्थित शाहिद लाल पद्म धर की मूर्ति से अपने विजय दिवस की शुरुआत की।छात्र नेताओं ने जश्न,अबीर गुलाल के साथ भांगड़ा करके ढोल नक़्गाड़ों के साथ अपनी खुशी का इजहार किया, वीसी रतन लाल हांगलू,प्रॉक्टर राम सेवक दुबे,फाइनेंस अफसर सुनील कांत मिश्रा,रजिस्टर एनके शुक्ला, पी आर ओ चितरंजन कुमार ने एक साथ स्तीफा दिया। ये विश्वविधायलय के इतिहास में ये पहली घटना है जब इस तरह से पूरी टीम ने स्तीफा दिया हो।पूरब का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास में ये काला दिन साबित होगा।

रिपोर्ट – राहुल पांडेय, प्रयागराज