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बाराबंकी जिला मुख्यालय स्थित नवाबगंज नगरपालिका पर पिछले 10 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है, लेकिन समाजवादी पार्टी इस बार किसी भी हालत में कोई मौका नहीं गंवाना चाहती, इसके लिए समाजवादी पार्टी के जिला संगठन से जुड़े वरिष्ठ नेता और प्रदेश स्तर के नेता इस बार ऐसे प्रत्याशी के लिए गंभीर हैं जो जीत के समीकरण पर फिट बैठे ।
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नवाबगंज नगरपालिका का चुनाव विपरीत परिस्थितियों में भी भाजपा के रंजीत बहादुर श्रीवास्तव ने जीता था और उसके बाद उनकी पत्नी शशि श्रीवास्तव भी सौभाग्यशाली रही और चेयरमैन बनी। शहर के मतदाताओं में लाला रंजीत की अच्छी पकड़ मानी जाती है उनके सजातीय वोट भी बड़ी संख्या में हैं। हालांकि इस बार भाजपा से कई ताकतवर चेहरे टिकट की दौड़ में हैं, इसलिए लाला रंजीत के परिवार को तीसरी बार टिकट मिलना आसान नहीं माना जा रहा।
वहीं समाजवादी पार्टी से भी कई प्रभावशाली नेता नवाबगंज नगर पालिका का चेयरमैन बनने के लिए पूरे दमखम के साथ मैदान में हैं ।
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पूर्व मंत्री संग्राम सिंह वर्मा के छोटे भाई पूर्व प्रमुख सुरेंद्र सिंह वर्मा अपनी दावेदारी को सबसे मजबूत मान रहे हैं, उनका दावा है कि वह सपा की ओर से ऐसे एकमात्र प्रत्याशी हो सकते हैं जिन्हें सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त होगा। परिसीमन और सीमा विस्तार के पश्चात नगर पालिका नवाबगंज में बड़ी संख्या में कुर्मी मतदाता बढ़े भी हैं, साथ ही शहर में पहले से ही कुर्मी मतदाताओं की अच्छी संख्या है, इसके अलावा समाजवादी पार्टी का बेस वोटर मुस्लिम और यादव मतदाता भी नवाबगंज नगर पालिका क्षेत्र में अच्छी संख्या में है। सुरेंद्र वर्मा कुर्मी यादव और मुस्लिम यानी ” KMY” समीकरण को जीत का ठोस समीकरण मानकर चल रहे हैं ।
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इसके अलावा उनका दावा है कि उन्हें समाज के सभी वर्गों सभी जाति और धर्म के लोग अपना आशीर्वाद देंगे क्योंकि उन्होंने जीवन भर सभी के सुख दुख में साथ दिया है किसी के साथ गलत नहीं किया है।
अभी तक जो समीकरण रहे हैं उनमें मुस्लिम और यादव मतदाताओं ने सपा को बढ़-चढ़कर वोट किया लेकिन अन्य वर्गों के मतदाताओं को भाजपा अपने पक्ष में एकजुट करने में सफल रही। पिछले दोनों चुनाव में लाला रंजीत ने बहुत होशियारी के साथ कूटनीति और रणनीति पर काम किया, वह विधानसभा और विधान परिषद के भी चुनाव लड़ चुके हैं और सियासत की नब्ज़ को बेहतर समझते हैं लेकिन इस बार परिस्थितियां बदली हैं।
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सुरेंद्र सिंह वर्मा का मानना है कि समाजवादी पार्टी की ओर से पहले कोई लोकप्रिय कुर्मी नेता चुनाव लड़ने के लिए मजबूती से सामने नहीं आया, इस बार यादव और मुस्लिम मतदाताओं के साथ-साथ कुर्मी समाज भी एकजुट होकर सपा के पक्ष में वोट करेगा और नवाबगंज नगरपालिका में अध्यक्ष की कुर्सी पर समाजवादी झंडा धारण करने वाला ही विराजमान होगा।
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समाजवादी पार्टी के कई बड़े नेता भी दबी जुबान में सुरेंद्र सिंह वर्मा की दावेदारी को “ठोस” मान रहे हैं शहर में निवास करने वाले एक प्रभावशाली नेता का मानना है कि, सुरेंद्र सिंह वर्मा समाज के सभी वर्गों से अच्छे संबंध रखते हैं वह सभी जातियों और धर्मों के लोगों का वोट हासिल करने की क्षमता रखते हैं, ऐसे में सुरेंद्र सिंह वर्मा को चुनाव लड़ाना सपा के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। हालांकि समाजवादी पार्टी के टिकट के अन्य दावेदार भी जनसंपर्क अभियान में जुटे हैं।
जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र वर्मा भी पूरी ताकत से मैदान में जुटे हैं वह जनसंपर्क अभियान भी कर रहे हैं और पार्टी के बड़े नेताओं से भी मुलाकात कर रहे हैं वह भी कुर्मी समाज से आते ऐसे में टिकट के लिए संघर्ष कर रहे सुरेंद्र वर्मा के सामने उनकी भी चुनौती है।
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समाजवादी पार्टी ने अभी नगर निकाय चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप नहीं दिया है अभी दावेदारों की क्षमताओं और लोकप्रियता का अध्ययन किया जा रहा है। समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में अपने जनाधार को लेकर अब बहुत गंभीर है इसलिए इस बार नगर निकाय के चुनाव में हर एक टिकट जिताऊ प्रत्याशियों को ही देने पर गंभीरता से मंथन हो रहा है। ध्यान इस बात पर भी दिया जा रहा है कि बेस वोट बैंक यानी यादव और मुस्लिम समाज के अलावा अन्य वर्गों से कौन सा प्रत्याशी कितना वोट हासिल करने की क्षमता रखता है क्योंकि सपा के प्रत्याशियों की जीत का समीकरण अधिकांश सीटों पर इसी सिद्धांत पर आधारित है।
ब्यूरो रिपोर्ट द इंडियन ओपिनियन, बाराबंकी