Delhi Results #EVM/EC जनता हैरान, नेताओं ने बोला झूठ,बीजेपी जीते तो EVM में धांधली, हारे तो EVM सही?

आलोक कुमार-

Evm/Ecएक बार फिर पवित्र निष्पक्ष और इमानदार साबित हुए और आरोप लगाने वाले झूठे और मौकापरस्त!

पिछले 2 सालों के अंदर देश के कई राज्यों में भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा और भाजपा के विपक्षी दलों ने जीत हासिल करके सरकार बनाई, लेकिन एक बात जो देश की जनता ने खोलकर देखी और समझी वह है नेताओं का झूठ और मौकापरस्ती।

जब भाजपा लगातार केंद्र और राज्यों में चुनाव जीत रही थी तो तमाम विपक्षी दलों के नेता इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में धांधली का आरोप लगा रहे थे चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगा रहे थे और बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग कर रहे थे।

भाजपा की जीत को विपक्ष के नेता बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे और जनादेश का अपमान करते हुए लगातार चुनाव परिणामों पर सवाल उठा रहे थे कई नेताओं ने कहा कि भाजपा ने ईवीएम में सेटिंग कर दी है कहीं भी वोट डालो वोट भाजपा को मिलता है। कुछ लोगों ने फर्जी वह फोटो और वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किए मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा कई बार चुनाव आयोग ने सभी दलों को न्योता दिया कि आइए और हमारे सामने ईवीएम में छेड़खानी और गड़बड़ी साबित करिए कोई भी नेता चुनाव आयोग के सामने ईवीएम में धांधली गड़बड़ी और चुनाव परिणामों में धांधली के आरोपों को साबित नहीं कर पाया।
सुप्रीम कोर्ट के मुकदमों में भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और चुनाव आयोग इमानदार निष्पक्ष साबित हुए।

लेकिन फिर भी जनता को गुमराह करते रहे सोशल मीडिया पर ही नहीं बल्कि सड़कों पर भी भारत की चुनाव प्रणाली और भारत के निष्पक्ष चुनाव आयोग भारत के संविधान और भारत की संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ खुलेआम षड्यंत्र साजिश और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा और जैसे ही भारतीय जनता पार्टी चुनाव हारने लगी तमाम नेताओं के सुर बदल गए और उन्हें वहीं ईवीएम बिल्कुल पवित्र और निष्पक्ष समझ में आने लगी चुनाव आयोग के अधिकारी इमानदार दिखने लगे क्योंकि अब भाजपा चुनाव जीत नहीं रही अब भाजपा चुनाव हार रही है।
अब चुनाव आयोग पर पक्षपात के आरोप नहीं लग रहे अब चुनाव आयोग भी निष्पक्ष है और ईवीएम भी पूरी तरह पवित्र है ईमानदार है और सही चुनाव परिणाम दे रही है।

कुल मिलाकर लोकतंत्र में जनता अलग-अलग समय पर अलग-अलग दलों को अपनी प्राथमिकता के हिसाब से मौका देती है ऐसे में जनता के आदेश का अपमान करना और निर्वाचन आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर संदेह करना कुल मिलाकर देश को अनुशासनहीनता और अराजकता की ओर धकेलने की साजिश है।
पिछले कुछ महीनों में महाराष्ट्र मध्य प्रदेश झारखंड छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव में बीजेपी को हार मिली है और विपक्ष को जीत मिली है और अब दिल्ली के चुनाव परिणामों में भी भारतीय जनता पार्टी को करारी हार मिली है लेकिन अब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और चुनाव आयोग के खिलाफ कोई आरोप नहीं लग रहा है।

देश के कुछ नेताओं का यह चरित्र निश्चित तौर पर उचित नहीं है सरकार किसी की भी जरूरी है और संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान जरूरी हैl क्योंकि संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ यदि जनता को भड़काया गया गुमराह किया गया तो देश में अराजकता और अनुशासनहीनता इतनी बढ़ जाएगी कि सब कुछ बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएगा।

यह लेखक के स्वतंत्र विचार हैं।

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