जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के 3 साल शुक्रवार को पूरे हो गए। अनुच्छेद हटाने के साथ केंद्र सरकार ने राज्य को बांटकर दो नए केंद्र शासित प्रदेश बना दिए थे। तब केंद्र की ओर से सुरक्षा, विकास और रोजगार के तमाम वादे भी किए गए थे। अब अब की उन वादों के 3 साल बीत चुके हैं। इस दौरान कश्मीरी पंडितों, टारगेटेड किलिंग, परिसीमन, पर्यटन समेत तमाम मुद्दों को लेकर जम्मू-कश्मीर लगातार चर्चा में बना हुआ है, लेकिन लद्दाख की बात नहीं हो रही है।
यहां के लोगो का कहना है कि लद्दाख के पास पैसे की कमी नहीं है। विकासात्मक परियोजनाएं, यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेज फेंसी जैसी चीजें तेजी हो सकती हैं मगर इसकी रफ़्तार बेहद धीमी है। लद्दाख के लोगों के लिए रोजगार की कमी बड़ी चिंता बन रही है। बहुत से लाेगाें का मानना है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद उन्होंने नौकरियों, भूमि के स्वामित्व और व्यवसाय समेत सभी क्षेत्रों में सुरक्षा खो दी है। डर है कि बाहरी लोग आएंगे और नौकरियां, व्यवसाय छीन लेंगे।
लोगों का मानना है कि बुनियादी ढांचे के विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए फंड कई गुना बढ़ा है। अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ी हैं और आधुनिकीकरण जारी है। लद्दाख के लिए पहली बार केंद्रीय विश्वविद्यालय, मेडिकल और पैरामेडिकल कॉलेज और 500 बिस्तरों वाले अस्पताल की घोषणा की गई है। केडीए के सदस्य सज्जाद कारगिली ने कहा कि सरकार ने हमारी मांगों पर बातचीत करने का वादा किया था, लेकिन इसमें देरी हो रही है। इससे लद्दाख के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। एक विशेषज्ञ ने कहा कि लद्दाख के पास पैसे की कमी नहीं है।
ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’