जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की जेल में 28 साल काटने के बाद कुलदीप यादव वतन लौटे-

पाकिस्तान की जेल में 28 साल बिताकर लौटे 59 साल के कुलदीप यादव की शारीरिक हालत कमजोर है। आर्थिक तंगी के साथ वह दिल की बीमारी से भी जूझ रहे हैं।
वह पाकिस्तान की उसी कोट लखपत जेल में बंद थे, जिसमें सरबजीत सिंह को रखा गया था। वह उनसे हर 15 दिन पर मिल पाया करते थे। सरबजीत की हत्या के बाद उन्हें घर से लेटर मिलना भी बंद हो गया था।

वर्ष 1992 से 1994 तक वहां रहने के बाद जब वापस भारत लौटने की तैयारी कर रहे थे तभी पाकिस्तान खुफिया एजेंसी ने उन्हें जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
स्थानीय अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई, उन्हें लाहौर की सिविल सेंट्रल जेल में रखा गया। उन्होनें कहा कि वहां पर जो मेरे हालात थे, काफी नाजुक थे। वहां और भी भारतीय थे, लेकिन मैं बिल्कुल नया था।

वहां शुरू में काफी प्रताड़ित किया गया और उस दौरान मुझे टीबी हो गई। जेलवालों की मेहरबानी थी कि ऑपरेशन हुआ, हार्ट का इलाज हुआ, एंजियोप्लास्टी हुई।
उन्होनें बताया कि एक लेटर यहां से लिखा गया था 2003 या 2004 में जो मुझे वहां तीन साल बाद मिला था। सभी लेटर नहीं मिलते थे। 5-7, 10 लेटर लिखे गए तो उसमें से 2-3 लेटर ही मिलते थे।

सरबजीत मेरा अच्छा दोस्त था। वह भी देश के काम के लिए गया था और देश के लिए उसे जान गंवानी पड़ी। उसे मौत की सजा मिली थी और मुझे सजा मिली थी।
मैं दोनों सरकारों से अपील करना चाहूंगा कि जो और कैदी वहां पर हैं, जिनकी सजाएं खत्म हो गईं है चाहें भारत में हों या पाकिस्तान में, उन्हें जल्दी रिहा कराएं।
क्योंकि जो खुशी मुझे मिली है उनको भी मिले। उन्होनें कहा कि मैं सरकार से अपील करता हूं जो एबनॉर्मल हैं उन्हें भी रिहा कराएं क्योंकि वे भारत के ही हैं और भारत के लिए वहां गए थे।

 

 

ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’

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