योगी आदित्यनाथ अपनी बेहतर कार्यशैली के दम पर उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले सौभाग्यशाली नेता साबित हुए हैं लेकिन इसके बावजूद ऐसा लग रहा है कि वह अपनी सरकार की कार्यशैली पर न तो पूरी तरह नजर रख पा रहे हैं और ना ही जरूरी उचित नियंत्रण।
हालात यह है कि उत्तर प्रदेश जल निगम जो कि प्रदेश सरकार का ही एक अंग है और सरकार के निर्देश पर कार्यों को निष्पादित करता है उससे जुड़े हुए हजारों कर्मचारियों और पेंशनर्स के परिवार पिछले 5 महीनों से बदहाली और भुखमरी का शिकार होने की नौबत पर आ गए हैं ।
वजह यह है कि पिछले 5 महीनों से जल निगम नगरीय के करीब 9000 कर्मचारी और पेंशनर को वेतन नहीं मिला है और बुजुर्ग पेंशन नहीं मिली है जिसके चलते भोजन पानी दवा बच्चों की पढ़ाई मकान के बिजली का बिल और तमाम आवश्यक कार्यों का संचालन नहीं हो पा रहा है हजारों परिवारों का जीवन दूभर हो गया है।
बड़ी मुश्किल से वह अपने लिए भोजन की व्यवस्था पा रहे हैं।
यही हाल जल निगम ग्रामीण से जुड़े हजारों परिवारों का है वहां 2 महीने से वेतन और पेंशन नहीं मिला है। यह कहना है जल निगम से जुड़े जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारियों का।
जल निगम से 2 वर्ष पहले सहायक अभियंता के पद से रिटायर हुए रामप्यारे गुप्ता ने यह जानकारी द इंडियन ओपिनियन को देते हुए बताया कि “हमारे कर्मचारी साथियों और पेंशनर साथियों के द्वारा सैकड़ों बार पत्र और ज्ञापन भेजकर मुख्यमंत्री जी विभागीय मंत्री एके शर्मा और स्वतंत्र देव सिंह जी एवं वरिष्ठ अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया गया किंतु संवेदनहीनता का स्तर यह है कि सब कुछ जानते हुए भी अधिकारी और सरकार चलाने वाले नेता मंत्री यहां तक कि हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री भी अंजान बने हुए हैं । हालत यह कि हजारों बुजुर्ग पेंशन अपनी दवाई नहीं खरीद पा रहे बहुत से कर्मचारी बच्चों की स्कूल की फीस नहीं दे पा रहे हैं भीषण जाड़े में लोग परिवार के लिए गर्म कपड़े नहीं खरीद पा रहे ।”
उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारी और नेता राजा महाराजा जैसी सुविधाएं सरकारी पैसे खर्च करके भोग रहे हैं जबकि सरकार से जुड़े हुए हजारों कर्मचारियों के परिवार वेतन और पेंशन ना मिलने से दयनीय स्थितियों में जीवन काटने को विवश हैं लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकारी कर्मचारियों के साथ ऐसा उपेक्षा पूर्ण रवैया बहुत दुखदाई है।
इस विषय पर द इंडियन ओपिनियन के द्वारा नगर विकास मंत्री एके शर्मा से बात करने का प्रयास किया गया परंतु संपर्क नहीं हो सका वहीं दूसरी ओर जल निगम ग्रामीण का दायित्व निभाने वाले ताकतवर मंत्री स्वतंत्र देव सिंह से भी बात करने का प्रयास किया गया परंतु उनके मोबाइल नंबर पर घंटी जाती रही और बात नहीं हो सकी।
द इंडियन ओपिनियन
लखनऊ