UP में क्यों भेजे गए गुजरात के पूर्व IAS ए के शर्मा, क्या योगी से नाराज हैं मोदी-शाह की टीम ?

नौकरशाही हो या राजनीति अपने पसंदीदा अफसरों को अपने साथ रखने की परंपरा काफी पुरानी है। आज यह परंपरा एक बार फिर चर्चा में है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के विश्वास पात्र और चहेते वर्ष 1988 के गुजरात काडर के आई ए एस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा को उत्तर प्रदेश की राजनीति में महतवपूर्ण भूमिका अदा करने लखनऊ रवाना किया गया है। गुजरात से दिल्ली तक प्रधानमंत्री मोदी के साथ महतवपूर्ण पदों पर काम करने वाले इस अधिकारी ने 12 जनवरी को आई ए एस की प्रतिष्ठित सेवा से 2 वर्ष पूर्व ऐच्छिक सेवानिवृति लेकर 14 जनवरी को लखनऊ आकर बी जे पी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण कर ली है और एमएलसी पद के लिए नामांकन भी कर दिया है।

जानकारों के अनुसार प्रदेश विधान सभा की 12 सीटें जिन पर मतदान होने जा रहा है उसमें से एक सीट श्री शर्मा को मिलना तय है। सिर्फ यही नहीं यदि राजनैतिक अटकलों पर विश्वास किया जाय तो श्री शर्मा का श्री दिनेश शर्मा की जगह उप मुख्य मंत्री बनना भी तय माना जा रहा है। यह सारा उलटफेर प्रदेश में आगामी विधान सभा के चुनावों के मद्देनजर हैं। प्रधानमंत्री के विश्वासपात्र के लखनऊ में रहने से केंद्रीय योजनाओं के कार्यान्वन और राजनैतिक दाव पेचों पर मोदी की पकड़ मजबूत होगी।

इस बदलाव का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और और उनके सलाहकार गृहमंत्री अमित शाह के मन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगीजी की कार्यशैली से नाराजगी नाखुशी या योगी जी को मजबूत करने की दिशा में एक कदम , दोनों ही तरह से आंकलन किया जा सकता है।

श्री अरविंद कुमार शर्मा का उत्तर प्रदेश से गहरा रिश्ता है। वह यूपी के मऊ के रहने वाले हैं। यहां के मुहम्मदाबाद गोहना तहसील के रानीपुर विकास खंड के अंतर्गत आता है काझाखुर्द गांव। ख़बरों के मुताबिक़, यहीं अरविंद शर्मा का जन्म साल 1962 में हुआ। शिवमूर्ति राय और शांति देवी के तीन बेटों में अरविंद सबसे बड़े हैं। गांव के स्कूल से प्राथमिक पढ़ाई करने के बाद डीएवी इंटर कॉलेज से इंटर पास किया और फिर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी चले गए। वहां से ग्रैजुएशन ,पोस्ट-ग्रैजुएशन और पीएचडी करने के उपरांत सिविल सेवा की तैयारी शुरू की और सफल रहे।

बताया जाता है की गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की मुलाक़ात हर्षद ब्रह्मभट्ट से हुई, हर्षद एक आई ए एस अधिकारी थे और जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट से जुड़े हुए थे। गुजरात से जुड़े एक वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि हर्षद का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी गहरा जुड़ाव था। नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात के बाद हर्षद ने नरेंद्र मोदी को अरविंद कुमार शर्मा का नाम सुझाया। इस समय अरविंद कुमार शर्मा इंडस्ट्रीज़ डिपार्टमेंट में एडिशनल कमिशनर के पद पर कार्यरत थे। इसके पहले वड़ोदरा में पुनर्वास विभाग में ज्वाइंट कमिश्नर, गांधीनगर के वित्त विभाग में डिप्टी सचिव, खेड़ा में कलेक्टर और खनन विभाग में ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर, मेहसाणा में डीएम और उसके पहले एसडीएम के पद पर रह चुके थे । अरविंद कुमार शर्मा को हर्षद ब्रह्मभट्ट की सिफ़ारिश पर तुरंत मुख्यमंत्री सचिवालय बुला लिया गया। नियुक्ति हुई सचिव के पद पर और यहीं से अरविंद शर्मा और नरेंद्र मोदी के बीच एक अटूट संबंध की शुरुआत हुई। साल 2004 में अरविंद शर्मा ज्वाइंट सेक्रेटरी बना दिए गए और बाद में एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाकर गांधीनगर के मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिए गए। जहां-जहां नरेंद्र मोदी रहे, वहां-वहां अरविंद कुमार शर्मा मौजूद रहे।

अपने गुजरात के कार्यकाल के दौरान अरविंद शर्मा ने दो चार गेम चेंजर क़िस्म के काम किए। एक तो टाटा के नैनो प्लांट के लिए रास्ता साफ़ करना जो ममता बैनर्जी के विरोध की वजह से पश्चिमी बंगाल से गुजरात मोदी जी के आमंत्रण पर आया था। दूसरा काम है साल 2001 में भुज में आए भूकंप में राहत कार्य। ये घटना केशुभाई की सरकार में ताबूत के आख़िरी कील की तरह थी, लिहाज़ा नरेंद्र मोदी को राहत कार्यों को समय पर पूरा करना था। लोग बताते हैं कि कम समय में राहत कार्य और पुनर्वास को अंजाम देने में अरविंद शर्मा ने नरेंद्र मोदी की मदद की। फिर तीसरा गेम चेंजर काम, वाइब्रेंट गुजरात, साल 2003 में शुरू हुआ ये गुजरात सरकार का ऐसा जलसा है, जिसकी मदद से गुजरात सरकार निवेशकों को लुभाती है। हर दो साल पर इस जलसे का आयोजन किया जाता है। ख़बरें और लोग बताते हैं कि नरेंद्र मोदी के क़रीब आने के बाद अरविंद शर्मा ने वाइब्रेंट गुजरात के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाई।अरविंद शर्मा वाइब्रेंट गुजरात के प्रमुख योजनाकार रहे। अरविंद शर्मा ने गुजरात दंगों के बाद मोदी और अमेरिकी विदेश विभाग में आई खटास को भी दूर करने में विशेष भूमिका निभाई थी। केन्द्र में एम एस एम ई विभाग में उनका विशेष योगदान रहा।

अरविंद शर्मा का उत्तर प्रदेश के राजनैतिक गलियारों में कैसा प्रदर्शन रहता है यह एक उत्सुकता का विषय रहेगा और क्या यह बदलाव वोटरों के रुझान को बी जे पी की तरफ मोड़ने में सफल होगा ? इसके लिए हमें आगामी चुनावों के परिणामों तक प्रतीक्ष करनी होगी।

आलेख – विकास चन्द्र अग्रवाल

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