UPUMS SAIFAI कमीशनखोरी के लिए 54000 ली ऑक्सीजन प्लांट दो साल से बंद -शिवपाल

पूर्व मंत्री और इटावा के जसवंतनगर सीट से विधायक शिवपाल सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर सैफई स्थित उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की बदहाली और वहां चल रहे भ्रष्टाचार के बारे में गंभीर आरोप लगाए हैं ।

शिवपाल यादव ने अपने पत्र में कहा है कि जबकि पूरे देश में ऑक्सीजन की भारी कमी है उस समय सैफई PGI के रूप में चर्चित आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में पिछले 2 सालों से विश्वविद्यालय के बड़े अफसरों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते 54000 लीटर की क्षमता का विशाल ऑक्सीजन प्लांट बंद पड़ा है।

शिवपाल यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय का संचालन करने वाले अधिकारियों की अकर्मण्यता और भ्रष्टाचार के चलते यह अक्सीजन प्लांट 2 वर्षों से बंद पड़ा है यदि प्लांट चल रहा होता तो न सिर्फ सैफई के मरीजों की जरूरतें पूरी होती, बल्कि आसपास के कई जिलों को भी ऑक्सीजन सप्लाई दी जा सकती थी।

प्रतीकात्मक चित्र

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का विषय नहीं है बल्कि कुछ अधिकारियों ने कमीशन खोरी के चक्कर में चीजों को लटका देने की प्रवृत्ति बना रखी है, इसलिए जरूरी है कि सैफई मेडिकल विश्वविद्यालय स्थित विशाल ऑक्सीजन प्लांट को दुर्दशा की ओर धकेलने वाले विश्वविद्यालय के उच्च अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए और इस प्लांट को संचालित किया जाए।

वह इस मामले पर विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर राजकुमार से संपर्क करने का प्रयास किया गया परंतु उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क नहीं हो सका। वहीं विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार एससी शर्मा का कहना है कि पुराना ऑक्सीजन प्लांट काफी समय से खराब पड़ा है। प्लांट अभी तक क्यों नहीं सही कराया गया क्यों नहीं नवीनीकरण करा कर संचालित कराया गया, इस प्रश्न पर रजिस्ट्रार कोई भी उचित जवाब नहीं दे सके, उनका कहना है कि प्रयास किया जा रहा है। प्रयास कब तक पूरा होगा यह जवाब उनके पास नहीं है।

कुल मिलाकर यह स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय के अधिकारी ऑक्सीजन प्लांट के संचालन को लेकर लापरवाह बने हुए हैं। जबकि पिछले 1 वर्षों से कोरोनावायरस संकट बना हुआ है यदि गंभीर प्रयास होते तो कई महीने पहले ही ऑक्सीजन प्लांट संचालित करवाया जा सकता था अथवा नया प्लांट लगाया जा सकता था और बहुत से मरीजों की जान बचाई जा सकती थी।

रिपोर्ट ब्यूरो इटावा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *