पाकिस्तान के 93000 सैनिकों को बंदी बनाने के बाद भी भारत आधा कश्मीर वापस क्यों नहीं ले पाया?

पूरे देश में विजय दिवस मनाया जा रहा है क्योंकि 1971 में भारत ने आज के दिन ही पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी।

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और सेना अध्यक्ष सैम मानेकशॉ के नेतृत्व में भारतीय सेना ने महान शौर्य का प्रदर्शन करते हुए हर मोर्चे पर पाकिस्तानी फौज को करारी शिकस्त दी और दुनिया के नक्शे पर बड़ा बदलाव करते हुए बांग्लादेश नाम के नए राष्ट्र को जन्म दे दिया।

भारत की इस महान जीत पर अक्सर देश की जनता यह प्रश्न करती है कि आखिरकार इतनी बड़ी जीत हासिल करने का देश को क्या फायदा मिला?
और क्यों तत्कालीन सरकार ने यह जीत हासिल करने के बावजूद पाकिस्तान के कब्जे में मौजूद कश्मीर का आधा हिस्सा वापस नहीं लिया और पाकिस्तान के ही कब्जे में छोड़ दिया?

आज भी यह मुद्दा चर्चा और बहस में अक्सर सामने आ जाता है और लोग यह कहते हैं कि पाकिस्तान से कई युद्ध जीतने के बाद भी हम अपनी जमीन पाकिस्तान से वापस क्यों नहीं ले पाए?

इस मुद्दे पर हमने सेना के कई रिटायर्ड बहादुर अफसरों से बातचीत की।
सेना के रिटायर्ड अधिकारी कीर्ति चक्र विजेता मेजर एके सिंह कहते हैं कि ऐसी घटनाओं को बहुत व्यापक परिपेक्ष में देखने की जरूरत हैl कोई भी सरकार तत्कालीन वैश्विक परिस्थितियों को अनदेखा नहीं कर सकती उस समय की सरकार की यह बड़ी सफलता थी कि उनके नेतृत्व में एक बड़ा और खतरनाक युद्ध सावधानी से लड़ा गया जिसके अच्छे परिणाम सामने आए जिससे भारतीय सेना की दुनिया भर में प्रशंसा हुई और पूरे देश का मनोबल ऊंचा हुआ ,लेकिन उस समय चीन रूस और अमेरिका जैसे अन्य देशों को लेकर क्या परिस्थितियां थी इनको भी ध्यान में रखना होगा किसी भी विषय पर निर्णय देने के पहले हमें पूरे विषय को गहराई से समझना चाहिए सभी घटनाक्रमों का गहरा अध्ययन करना चाहिए और तब उन परिस्थितियों के बारे में विचार करना चाहिए कि उस समय की क्या परिस्थितियां रही होंगी और तत्कालीन सरकार ने किस प्रकार से उस समय उचित निर्णय लिया होगा। सोशल मीडिया के इस दौर में ज्यादातर लोग तुरंत हर विषय पर अपना निर्णय देने लगते हैं जबकि वह विषय का पूरा अध्ययन नहीं करना चाहते परिस्थितियों को पूरी तरह नहीं समझना चाहते, तुरंत ही सही गलत का फैसला कर देते हैंl

ऐसा कई बार राजनीतिक लाभ अधूरे ज्ञान अथवा कई अन्य कारणों से होता है लेकिन ऐसा देश के लिए अच्छा नहीं है देश से जुड़े किसी भी विषय पर अपनी राय जाहिर करने के पहले उस विषय का पूरा अध्ययन करना चाहिए हर व्यक्ति को अपने अंदर एक विद्यार्थी को हमेशा जीवित रखना चाहिए जिसे वह किसी भी विषय के बारे में अधिकतम जानकारी हासिल करने के बाद ही अपनी राय सामने रखेंl

मेजर एके सिंह के मुताबिक भारतीय सेना ने 71 के युद्ध में महान वीरता का प्रदर्शन किया जिसकी वजह से दुनिया का भूगोल बदल गया लेकिन तत्कालीन वैश्विक परिस्थितियों जिस प्रकार से थी उस प्रकार से सरकार ने बेहतर निर्णय लेने का प्रयास किया होगा इस बारे में कोई भी टिप्पणी बहुत सावधानी और विस्तृत अध्ययन के बाद ही की जानी चाहिए।

वही कैप्टन शिव करण सिंह का कहना है कि भारतीय सेना की बहादुरी की पूरी दुनिया तारीफ करती है उस समय जो सर्वश्रेष्ठ कार्य हो सकता था वह भारतीय सेना ने किया। पीओके यानी पाक अधिकृत कश्मीर को शामिल करने का फैसला बहुत ही सावधानी से लिए जाने की जरूरत है क्योंकि वहां बड़ी संख्या में आतंकी तत्व का अड्डा है कश्मीर में जो समस्याएं हैं उनको लेकर सेना और अर्धसैनिक बल पहले से ही संघर्ष कर रहे हैं पीओके भी भारत का हिस्सा है लेकिन उसे शामिल करने का फैसला जल्दबाजी में नहीं बहुत ही सावधानी से लिए जाने की जरूरत है और एक साथ सारे काम नहीं किए जाते उचित समय और रणनीतियों को ध्यान में रखकर ही बड़े फैसले लिए जाते हैं।

कैप्टन शिवकरन सिंह के मुताबिक उस समय भारत ने जो किया उसे पूरी दुनिया ने देखा और आने वाले समय में भी भारत की सेनाएं बहादुरी का प्रदर्शन करेंगी।. जरूरत इस बात की है कि सरकार केवल बहादुरी का ढिंढोरा न पीटे, इमानदारी से देश के हित में सही कदम उठाकर दिखाएं। पिछले 6 सालों में बड़ी संख्या में हमारे फौजी शहीद हुए हैं सरकार को इन परिस्थितियों पर विचार करना चाहिए और जनता के हर सवाल का जवाब देना चाहिए।

कुल मिलाकर देश के ज्यादातर रिटायर्ड सैन्य अफसर यह मानते हैं कि 1971 के युद्ध में भारत की ऐतिहासिक जीत को देखते हुए दुनिया में खलबली मच गई थी कई देश पाकिस्तान के समर्थन में षड्यंत्र में जुड़ गए थे अमेरिका भी खुलकर पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा होने लगा ,जब अमेरिका ने देखा कि भारत तेजी से पाकिस्तान पर हावी हो रहा है।
रूस और चीन भी यही चाहते थे कि भारतीय सेना पाकिस्तान में बहुत अंदर ना घुसे और पाकिस्तान का जीता हुआ भूभाग भारत की सेना उसे वापस कर दे। दुनिया के कई ताकतवर देशों का यह दबाव था कि भारत के द्वारा युद्ध जीतने के बाद उदारता का परिचय देते हुए पाकिस्तान की हिमाकत को माफ करके उनके बंदी फौजियों को वापस भेज दिया जाए।

फिर भी भारत की बड़ी उपलब्धि यह रही कि उसने हमेशा के लिए पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए।

आलेख – दीपक मिश्रा

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