बाराबंकी:राजनीति को सेवानीति में बदल रहे हैं गांव के नए जनप्रतिनिधि,शपथ लेने के पहले ही फर्ज निभाने में जुट गए!

बाराबंकी: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव का समापन हो चुका है और इस बार पंचायत चुनाव में लोगों ने पार्टी समर्थित लोगों से ज्यादा निर्दलीय एवं युवाओं पर भरोसा जताया है जिसका परिणाम है कि अधिकांश ग्राम पंचायतों पर इस बार महिलाओं और युवाओं ने अपना कब्जा जमाया है।

वैसे तो चुनाव में जनप्रतिनिधि अपने प्रचार के दौरान तमाम घोषणाएं करते हैं लेकिन जीत हासिल करने के बाद कुर्सी पर बैठे ही उनको विकास कार्यों एवं गांव की समस्याएं नहीं दिखाई पड़ती हैं जिसका कारण है कि लोगों में ऐसे जनप्रतिनिधियों के प्रति रोष व्याप्त हो जाता है लेकिन कुर्सी हासिल कर चुके जनप्रतिनिधि आश्वस्त हो जाते हैं कि अब उन्हें कुर्सी से कोई डिगा नहीं सकता और वह अपनी मनमानी करने में लग जाते हैं।

लेकिन इसी के विपरीत जनपद के कुछ ऐसे युवा हैं जिन्होंने पंचायत चुनाव में जीत तो हासिल की लेकिन सबसे बड़ी बात यह रही कि जीत हासिल करने के बाद से ही इन लोगों ने अपने क्षेत्रों में लोगों की समस्याओं का ध्यान रखते हुए उनकी आवश्यकता पूरी करने का प्रयास करने लगे हैं हालांकि जीते प्रत्याशी पूर्व से ही गांव के लोगों के दिल में अपनी जगह बना चुके थे जिसका परिणाम यह रहा कि ग्राम वासियों ने ऐसे प्रत्याशियों को जिता कर गांव के विकास की नई इबारत लिखने का मौका भी दिया।

हम बात करते हैं बंकी ब्लॉक के ग्राम ढकौली के नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान अंजै मिश्रा उर्फ सोनू महाराज की जिन्होंने प्रधानी में जीत हासिल कर लोगों से किए गए वादे पूरे करने शुरू कर दिए, सोनू महाराज ने गांव की सबसे प्रमुख समस्या अंधेरे को मिटाने के लिए पूर्व में खराब पड़ी स्ट्रीट लाइटों को सही कराने का जिम्मा बिना किसी सरकारी सहायता के लिया और इस कार्य को संपादन कराने में जुट गए और कुछ ही दिनों में ग्राम की लगभग खराब पड़ी लाइटों को सही कराने में लगे हुए है। गांव के ही शिवसेना नेता मनोज विद्रोही ने बताया की सोनू महाराज ने पूर्व में ही संकल्प लिया था कि गांव के विकास की नई इबारत लिखने के लिए वह कटिबद्ध हैं और इसके लिए भविष्य में भी लगातार प्रयास करते रहेंगे।

वही हम बात करते हैं बहादुरपुर ग्राम के नवनिर्वाचित क्षेत्र पंचायत सदस्य नागेंद्र वर्मा की जिन्होंने कम उम्र में ही क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव अपने नाम किया है और लोगों ने ग्राम की जनता ने उन पर अपना विश्वास दिखाया है तो क्षेत्र पंचायती जीत चुके नागेंद्र वर्मा ने भी आम जनता को निराश नहीं किया और बिना किसी सरकारी सहायता के गांव में धार्मिक स्थलों पर अंधकार को दूर करने के लिए लाइट की व्यवस्था करा दी इसके साथ ही ऐसी जगह पर जहां पर पानी की समस्या होती थी वहां पर हैंडपंप लगवाने का कार्य भी बिना किसी सरकारी सहायता के शुरु कर दिया। आपको बताते चले कि बहादुरपुर क्षेत्र में चुनाव में गड़बड़ी के कारण केंद्र पर पुनः मतदान कराया गया था के बावजूद नागेंद्र वर्मा बढ़त बनाये रहे और विजयी घोषित किये गए, विजय की घोषणा होते ही नागेंद्र ने जनता का आभार व्यक्त किया और वही यह घोषणा कि पहले काम शुरू होंगे और इस घोषणा को नागेंद्र ने हक़ीक़त में बदलना भी शुरू कर दिया है। नागेंद्र वर्मा ने बताया की यदि गांव की जनता ने उन पर विश्वास किया है तो वह जनता के विश्वास को कभी छोड़ेंगे नहीं और जनता के हित में सदैव इसी प्रकार कार्य करते रहेंगे।

इसी क्रम में हम बात करते हैं बदोसराय के नव निर्वाचित ग्राम प्रधान निसार मेहंदी की जो 15 साल की उम्र से ही भारतीय किसान यूनियन से जुड़े हुए हैं और उनमें सेवा का भाव कुछ ऐसा है जो बिना किसी पद पर रहते हुए लोगों की मदद करने में पीछे नहीं हटते थे ग्रामीण क्षेत्रों में चाहे वृक्षारोपण का कार्य हो या किसी को मदद करनी हो निसार सदैव सबसे आगे खड़े होते थे जिसका फल यह रहा की बदोसराय जैसे बड़े क्षेत्र से उनको प्रधानी का ताज मिला और जनता ने उन पर पूरा विश्वास दिखाया वहीं नवनिर्वाचित प्रधान निसार मेहंदी भी जनता के विश्वास को पूर्ण करने में जी-जान से जुटे हुए हैं कोरोनावायरस महामारी में भी हुआ गांव की नालियों की साफ-सफाई एवं कीटनाशक दवाओं का छिड़काव सैनिटाइजर का छिड़काव कराने में जुटे हुए हैं जबकि अभी शपथ ग्रहण का कार्य भी संपन्न नहीं हुआ है बात करने पर निसार मेहंदी द्वारा बताया गया की कार्य करने के लिए शपथ की आवश्यकता नहीं होती है बल्कि उन्होंने कार्य करने के लिए जनता को शपथ दी है और वह उस शपथ को कभी नहीं भूलेंगे। वही निसार ने आगे बताया कि आने वाले भविष्य में बदोसराय को एक आदर्श ग्राम पंचायत बनाने के लिए वह सदैव तत्पर रहेंगे और कई ऐसी समस्याएं हैं जिन्हें जिन पर अभी तक किसी के द्वारा ध्यान नहीं दिया गया है उन समस्याओं को दूर कराने का प्रयास करेंगे और इस कार्य हेतु यदि उन्हें कोई मदद नहीं मिली तो वह गांव के लोगों से चंदा जुटाकर गांव के विकास कार्य कराएंगे।

यह कहानी है कुछ ऐसे जनप्रतिनिधियों की जो जनता से किए हुए वादों को पूरा करने के लिए किसी भी प्रकार का विलंब किए बिना उनकी सेवा में जुट गए हैं एक तरफ जहां अधिकांश लोग चुनाव जीतने के बाद अपने घोषणापत्र को भूल जाते हैं और जनता के सामने से ऐसे निकलते हैं मानो उन्होंने कोई वादा किया ही नही था, ऐसे लोगों को ऐसे जनप्रतिनिधियों से सीख लेनी चाहिए जिन्होंने अपने घोषणापत्र को ही अपना धर्म मान लिया है और जनता की सेवा करने को ही अपना जीवन बना लिया है।

बाराबंकी से नितेश मिश्रा की रिपोर्ट!

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