मुगल नहीं, अब शिवाजी म्यूजियम: आगरा से जुड़ी है छत्रपति की बहादुरी की दास्तान!

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा आगरा में बन रहे मुगल संग्रहालय का नाम बदलने की घोषणा के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज एक बार फिर चर्चा के विषय बने हैं। यह संग्रहालय अब छत्रपति शिवाजी के नाम से जाना  जाएगा। इस संग्रहालय का निर्माण कार्य सपा सरकार में शुरू हुआ था।

छत्रपति शिवाजी का आगरा से संबंध की कहानी बहुत ही साहस और बुद्धिमानी वाली रही है। यहां उन्होंने तत्कालीन मुगल सम्राट औरंगजेब को भरे दरबार में विश्वासघात का आरोप लगाकर उसे अपना रोष दिखाया था। बाद में आगरा के किले में कैद करने पर अपने साहस और बुद्धि के दम पर वह औरंगजेब के पांच हजार सैनिकों को चकमा देकर वहां से भागने में भी सफल रहे।

वर्ष 1674 में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले छत्रपति शिवाजी ने कई सालों तक औरंगजेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया था और मुगल सेना को धूल चटाई थी। शिवाजी के पराक्रम से परेशान होकर औरंगजेब ने बाद में उनसे संधि करने की योजना बनाई और इसके लिए उन्हें आगरा बुलाया। लेकिन, वहां उचित सम्मान नहीं मिलने से नाराज शिवाजी ने भरे दरबार में अपना रोष दिखाया और औरंगजेब पर विश्वासघात का आरोप लगाया।

इतिहासकार बताते हैं कि छत्रपति शिवाजी 16 मार्च, 1666 को अपने बड़े पुत्र संभाजी के साथ आगरा आए थे। मुगल बादशाह औरंगबेज ने उचित सम्मान न दिया तो शिवाजी ने मनसबदार का पद ठुकरा दिया था। फिर वह राजा जय सिंह के पुत्र राम सिंह के आवास पर रुके।
औरंगजेब ने राम सिंह से कहा कि वह अपने साथ शिवाजी को लेकर आगरा किला में आए। कहा जाता है कि शिवाजी नहीं आए। इस पर औरंगजेब ने शिवाजी को राम सिंह के महल में ही कैद कर लिया। कुछ इतिहासकार कहते हैं कि शिवाजी आगरा किले में कैद रहे और औरंगजेब ने वहां 5000 सैनिकों का कड़ा पहरा लगा दिया।

अभिलेखों के अनुसार, शिवाजी ने जेल में बीमार होने का बहाना बनाया। वे फलों की टोकरियां दान में भेजने लगे। 13 अगस्त, 1666 को वे फल की एक टोकरी में बैठकर गायब हो गए। औरंगजेब हाथ मलता रह गया। कोठरी में शिवाजी के स्थान पर उनका चचेरा भाई हीरोजी चादर ओढ़कर लेटा रहा। इससे सुरक्षा प्रहरी भ्रम में रहे।
बताया जाता है कि यमुना में नाव में बैठकर शिवाजी ताजगंज श्मशान घाट स्थित मंदिर की ओर आए। यहां भी कुछ दिन छिपकर रहे। स्टेशन रोड स्थित महादेव मंदिर में भी रुकने की किंवदंती है। वे साधु-संतों की टोली में बैठकर मथुरा की ओर रवाना हो गए। औरंगजेब लाख जतन करने के बाद भी शिवाजी को पकड़ नहीं सका।

आगरा किला के चारों ओर खाई है। सूखी खाई और पानी वाली खाई। मुगलकाल में यमुना आगरा किले से सटकर बहती थी। यमुना की ओर खुलने वाले आगरा किला के द्वार को वाटर गेट कहा जाता है। यहीं से शिवाजी की जेल की ओर जाने का रास्ता है। कहा जाता है कि शिवाजी वाटर गेट से होते हुए आगरा किले से गायब हो गए थे। आगरा किला के वरिष्ठ संरक्षण सहायक अमरनाथ गुप्ता कहते हैं कि अगर शिवाजी किले में कैद थे तो वे निश्चित ही वाटर गेट से निकले होंगे क्योंकि पलायन का यही उचित मार्ग है। मुख्य द्वार से जाना संभव प्रतीत नहीं होता है।

गौरतलब है कि करीब 354 साल बाद एक बार फिर छत्रपति शिवाजी चर्चा के विषय बने हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगरा में बन रहे मुगल संग्रहालय का नाम बदलने की घोषणा की है। इस संबंध में सोमवार का उन्होंने ट्वीट किया और समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देशित भी किया।

मुख्यमंत्री योगी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल में लिखा, ‘‘आगरा में निर्माणाधीन म्यूजियम को छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से जाना जाएगा। आपके नए उत्तर प्रदेश में गुलामी की मानसिकता के प्रतीक चिन्हों का कोई स्थान नहीं। हम सबके नायक शिवाजी महाराज हैं। जय हिन्द, जय भारत।’’ मुख्यमंत्री ने इस संग्रहालय में छत्रपति शिवाजी महाराज के दौर से जुड़ी चीजें भी रखने का निर्देश दिया है।

ब्यूरो रिपोर्ट

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