विद्युत कर्मचारियों और बिल्डर्स की  साँठ गाँठ, लोगों तक नहीं पहुँच पा रहा नियमों का लाभ

आज लखनऊ में विद्युत मूल्यों की बढ़ोत्तरी पर विचार करने हेतु उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की बैठक सम्पन्न हुई ।

इस बैठक में उत्तर प्रदेश शोषित आवास क्रेता( Home Buyers) अधिकार संघ के प्रतिनिधियों द्वारा आयोग के अध्यक्ष के समक्ष एक ज्ञापन के माध्यम से कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया गया।

संघ के प्रतिनिधियों द्वारा अवगत कराया गया  कि  Electricity Supply Code ( Thirteenth amendment) 2018 द्वारा दिये गए दिशानिर्देशों के अनुपालन में 31 मार्च 2019 तक सभी बहुमंज़िला आवासीय सोसाइटीज में सिंगल प्वॉइंट पावर कनेक्शन को मल्टी पॉइंट यूजर कनेक्शन में बदला जाना था। परन्तु बिल्डर और विद्युत कर्मचारियों की साँठ गांठ के चलते यह कार्य पूरा नहीं किया गया है  और बहुमंज़िला इमारतों में रहने वाले बिल्डर के हाथ शोषित होने को मजबूर हैं।

यहाँ यह स्पष्ट करना उचित होगा कि सिंगल पॉइंट कनेक्शन क्या है । एक बिल्डर जो बहुमंज़िला आवासीय परिसर विकसित करता है उसे विद्युत विभाग माँग के अनुसार विद्युत लोड स्वीकृत कर एक मीटर लगा देता है और उसी की रीडिंग के अनुसार विद्युत मूल्य की वसूली करता है।

बिल्डर परिसर में रहने वाले फ्लैट ओनर्स को इस विधुत को बांटता है और मूल्य की वसूली करता है । किसी भी बहुमंज़िला परिसर में सभी निवासी एक साथ नहीं आ जाते, बिल्डर स्वीकृत विद्युत लोड में से आवश्यकता अनुसार लोड ही रिलीज कराता है । यही बिल्डर की कमाई का जरिया बन जाता है।

संघ के प्रतिनिधियों ने बहुमंज़िला इमारतों  के विद्युत टैरिफ स्ट्रक्चर पर भी आपत्ति उठाई । उन्होंने कहा कि न तो हमें अन्य सामान्य उपभोक्ताओं की तरह विद्युत स्लैब का लाभ ही मिलता है बल्कि उल्टा विद्युत इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के नाम पर बिल्डर एक मोटी रकम ( ₹50,000 प्रति फ्लैट तक ) वसूल करता है । जबकि एक  इंडिपेंडेंट आवास वाले से सिर्फ केबल और मीटर की कीमत लेकर विभाग उसे विद्युत कनेक्शन उपलब्ध  करा देता है।

बहुमंज़िला इमारतों से प्रति यूनिट विद्युत मूल्य सबसे अधिक 7 ₹ + इलेक्ट्रिक ड्यूटी  है जो सब जोड़ कर 7.70₹प्रति यूनिट आता है । संघ ने अध्यक्ष महोदय से  इस पर पुनःविचार करने का अनुरोध किया।

संघ द्वारा यह भी शिकायत की गई कि बिल्डर द्वारा लगाए विद्युत प्री पेड मीटर BIS/ISI द्वारा प्रमाणित नहीं होते है और उनकी रीडिंग सदैव ही संदेह के घेरे में रहती है। संघ ने इनकी जांच कराने का भी अनुरोध किया ।

अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने धैर्य के साथ संघ के प्रतिवेदन को सुना और मीटिंग में उपस्थित प्रबंध निदेशक , मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को इस संबंध में प्रभावी कार्यवाही करने की निर्देश पारित किए।

रिपोर्ट – विकास चन्द्र अग्रवाल

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