आलेख – दीपक मिश्रा,
बाराबंकी में समाजवादी पार्टी के जिला महासचिव अनिल यादव का आज दुखद निधन हो गयाl पिछले कई दिनों से लिवर कैंसर की वजह से वह अस्पताल में थेl उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया और ईश्वर लोक का हिस्सा हो गए।
उनकी सादगी उनकी मुस्कुराहट, शाम को पैदल शहर में घूमना एक बड़े राजनीतिक घराने से होते हुए भी कभी रिक्शे से तो कभी मोटरसाइकिल से लोगों के साथ उनके जरूरी कामों के लिए निकल पड़ना! उनकी जीवनशैली वास्तविक समाजवाद के दर्शन कराती थी जहां लग्जरी गाड़ी से नहीं बल्कि अपनी सादगी से अपने व्यक्तित्व की पहचान थी।
अनिल यादव का यूं अचानक दुनिया से चले जाना सियासत में मौजूद एक ऐसी शख्सियत का जाना है जिसने अपने किरदार से ईमानदारी और दोस्ती की खुशबू को फैलाने का काम किया।
यह संदेश भी दिया कि खादी के कुर्ते पहनने से सफेद पोश नहीं बना जाता, सफेदपोशी को दिल से जिया जाता है अपने काम और व्यवहार से जाहिर किया जाता है। समाजवाद की परिभाषा को जबरन जातिवाद धनबल और बाहुबल की चकाचौंध में उतारने की असफल कोशिश करने वालों को अनिल यादव जैसे नेताओं से प्रेरणा लेनी चाहिए!