अपनों को मोहरा बनाकर देश को अराजकता हिंसा बेरोजगारी की ओर धकेलने की “विदेशी साजिश”, इंटेलिजेंस सूत्रों की खबर

पिछले कई महीनों से अपना कामकाज पढ़ाई लिखाई छोड़ कर देश के बहुत से लोग खासतौर पर युवा सियासी मोहरा बनकर कथित आंदोलनों में व्यस्त हैं, जिसकी वजह से कानून व्यवस्था के साथ-साथ देश की सरकारी संपत्ति का भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है।

देश की राजधानी दिल्ली में विश्वविद्यालय परिसरों में पढ़ाई लिखाई लगभग बंद है और कई महीनों से धरना प्रदर्शन नारेबाजी का माहौल बना हुआ है कई बार तो बाकायदा तोड़फोड़ और हिंसा भी हुई।

यह सब कुछ अचानक नहीं हो रहा है इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक देश की केंद्रीय सत्ता पर लगातार दूसरी बार भारी बहुमत के साथ आसीन होने वाली नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सरकार से दुनिया में भारत विरोधी ताकतों को काफी परेशानी है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में लगातार मजबूत हो रही है इसलिए पाकिस्तान और चीन जैसे पारंपरिक विरोधी भारत को अस्थिर करना चाहते हैं और भारत की केंद्रीय सत्ता को परेशान और कमज़ोर करने के लिए देश के भीतर का माहौल खराब करने की कोशिशों में जुटे हैं।
इसके लिए छद्म नामों से तमाम संगठन काम कर रहे हैं जिन्हें गोपनीय रूप से राष्ट्र विरोधी ताकतों की मदद मिल रही है।

बड़े पैमाने पर अघोषित तरीकों से भारी विदेशी फंडिंग भी मिल रही है करोड़ो अरबो रूपया खर्च करके देश में एक नकारात्मकता का माहौल बनाया जा रहा है देश की चुनी हुई सरकारों के खिलाफ अविश्वास और अराजकता का वातावरण तैयार किया जा रहा है जिससे लोग अपने काम धाम पढ़ाई लिखाई छोड़ कर सड़कों पर आएं माहौल खराब करें ,कानून व्यवस्था खराब हो ,और यदि सरकार हालत सुधारने के लिए सख्ती करें तो सरकार के खिलाफ लोग उग्र आंदोलन करें और सरकारों की छवि भी खराब हो।

कुल मिलाकर जब किसी देश में या किसी शहर में माहौल खराब होगा तो ना वहां बाजारे खोलेंगे ना दुकानें चलेंगी और काम धंधे रोजगार अपने आप प्रभावित होने लगेंगे बंद होने लगेंगे जिसकी प्रतिक्रिया में देश में नकारात्मकता और नाराजगी का माहौल और अधिक बढ़ेगा परेशान लोग सरकारों के खिलाफ और अधिक सड़कों पर आएंगे और कुल मिलाकर देश की व्यवस्थाएं अस्त-व्यस्त होने लगेगी।

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पिछले कई दशकों से भारत के खिलाफ ऐसी ही योजनाओं पर काम करती रही है भारत को “सौ घाव” देने की आई एस आई की पुरानी नीति रही है और उसके “100 घाव” की नीति के अनुसार भारत में सक्रिय हजारों आई एस आई एजेंट अलग-अलग नाम और संगठनों के जरिए भारत में लंबे समय से सक्रिय हैं।

उग्र आंदोलन हिंसक धरना प्रदर्शन बाजार और व्यापार को खराब करना सरकारों के खिलाफ अराजकता और अविश्वास का माहौल खड़ा करना यह दुश्मन देशों की एजेंसियों की खास नीति रहती है।

पिछले दिनों जर्मनी के सुरक्षा विशेषज्ञ और पाकिस्तान मामलों के जानकार
हेन केलसिंह ने अपनी एक किताब में भी दावा किया था कि पाकिस्तानी सरकार की नीति के हिसाब से वहां की कुख्यात जासूसी एजेंसी आईएसआई लगातार भारत के खिलाफ विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने में लगी रहती है क्योंकि पाकिस्तान भारत को अपना मुख्य विरोधी मानता है और यह भी जानता है कि वह सीधी लड़ाई में भारत से नहीं निपट सकता इसलिए भारत को भीतरी तौर पर अस्थिर करना वहां का माहौल खराब करना आई एस आई की रणनीति का हिस्सा है। हेन केलसिंह लगभग 13 वर्ष पाकिस्तान में रहे हैं और उन्होंने पाकिस्तानी सेना वहां की खुफिया एजेंसियों और भारत-पाक संबंधों को लेकर काफी अध्ययन किया है। भारत के खिलाफ विभिन्न अभियानों के संचालन में पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई हर साल सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च करती है।

सूत्रों के मुताबिक जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, शाहीन बाग, लखनऊ पश्चिम बंगाल समेत देश के तमाम हिस्सों में सरकार विरोधी आंदोलनों में ऐसे तत्व की पहचान की जा रही है और तमाम पुख्ता संकेत मिले हैं कि कई राष्ट्र विरोधी संगठन इन कथित आंदोलनों में शामिल है और भोले भाले नौजवानों को गुमराह करके नागरिकता और छात्र हित जैसे भावनात्मक मुद्दों का दुरुपयोग करके देश में हिंसा और नाराजगी का वातावरण बनाकर देश को पीछे धकेलने का काम कर रहे हैं।

पिछले दिनों कई ऐसे कट्टरवादी संगठनों के लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है जिनके विदेशों से संपर्क हैं और जिन से जुड़े लोगों ने पिछले कुछ समय में पाकिस्तान की कई यात्राएं भी की है इस संवेदनशील विषय पर खुलकर कोई भी जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं है, लेकिन ऐसे लोगों की पूरी पड़ताल करके उनके खिलाफ कार्रवाई में खुफिया एजेंसी में जुटी हुई है।

रिपोर्ट – देवव्रत शर्मा

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