कोरोना से आर्थिक संकट: तेजी से खाली हो रहा है सरकारी खजाना, गरीबों की कमर टूटी!

रिपोर्ट – देवव्रत शर्मा

कोरोनावायरस का संकट न सिर्फ देश के नागरिकों की सेहत के लिए बड़ा खतरा बन गया है बल्कि इसकी वजह से देश आर्थिक रूप से भी बर्बादी के मुहाने पर खड़ा है।

पूरे देश में लॉक डाउन होने की वजह से सरकार को प्रतिदिन हजारों करोड़ों का नुकसान हो रहा हैl  सरकारी खजाना कोरोनावायरस की जांच और इलाज के इंतजामों में बहुत तेजी से खाली हो रहा है।

पिछले दिनों सरकार ने कोरोनावायरस से निपटने के लिए कई बड़ी घोषणाएं की एक लाख 70 हजार करोड़ का विशेष राहत पैकेज घोषित करने के साथ ही देश में सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारने के लिए सरकार ने 20 हजार करोड रुपए का बजट जारी किया। इसके अलावा देशभर से सरकारी अस्पतालों की डिमांड के हिसाब से कोरोनावायरस से निपटने के लिए जांच किट सुरक्षा उपकरण दबाए वेंटिलेटर आदि की व्यवस्था करने में सरकार को प्रतिदिन अरबों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।

लॉक डाउन का पालन करवाने के लिए पुलिस समेत तमाम एजेंसियों को सक्रिय किया गया है। मरीजों को आइसोलेशन मैं रखना उनके खाने-पीने की व्यवस्था करना, डॉक्टरों के अलग रहने खाने-पीने की व्यवस्था, स्वास्थ्य कर्मियों की व्यवस्था, पीपीई किट की व्यवस्था समेत तमाम ऐसे काम सरकार को करने पड़ रहे हैं जिसके लिए पहले से कोई भी ढांचा तैयार नहीं किया गया था इसके चलते सरकार को भारी खर्च का सामना करना पड़ रहा है।

वहीं सरकार की आय अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है क्योंकि खुदरा व्यापार और ज्यादातर उद्योग धंधे बंद हो गए हैं।
कुल मिलाकर देश गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है ऐसे में यह जरूरी है कि देश के नागरिक सावधानी के साथ सभी सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए खुद को कोरोना वायरस के प्रभाव से बचाए रखें क्योंकि जितना ही मरीजों की संख्या बढ़ेगी उतना ही सरकार के ऊपर आर्थिक बोझ बढ़ेगा जिसका खामियाजा देर सवेर जनता को ही भुगतना पड़ेगा।

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