कोरोना से भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान, महामारी के बाद आर्थिक अनुमान जारी करेगी सरकार।

रिपोर्ट – अराधना शुक्ला

नए आर्थिक अनुमान जारी करेगी सरकार।
कोविड-19 के चलते अर्थव्यवस्था की रीढ़ टूट गई है। साल की शुरुआत में देश की आर्थिक गतिविधियों के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद के बढनें का अनुमान लगाया गया था।आर्थिक बजट 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर 6 से 6.5 प्रतिशत रहनें का अनुमान लगाया गया था। लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए इतनी वृद्धि दर प्राप्त होती नहीं दिख रही है। इसका कारण दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी है, जिसके चलते दुनिया भर की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है।


बहराल,भारत सरकार ने नए आर्थिक अनुमान इस महामारी के गुजर जाने के बाद जारी करनें का फैसला किया है। मौजूदा हालात को देखते हुए इसको जुलाई या उसके बाद जारी किए जाने का अंदेशा है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि, वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद को लेकर वित्त वर्ष 2021 के लिए मंत्रालय अनुमान लगा रहा है। इसमें लगातार बदलाव हो रहे हैं इसलिए अब तक कोई स्पष्ट स्थिति न होने की वजह से सरकार को सार्वजनिक नहीं कर रही है।
3 मई को लॉक डाउन खुलेगा या नहीं, इस पर भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। इसके कारण यह भी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि, आर्थिक गतिविधियां सुचारू ढंग से शुरू भी होंगी या नहीं। इसके अलावा जैसा कि कुछ दिनों पहले सरकार की तरफ से जारी एडवाइजरी में आर्थिक गतिविधियों को लॉकडाउन के दौरान थोड़ी ढील देने की बात कही गई थी, जिसमें कुछ क्षेत्रों को अपना कामकाज शुरू करने को कहा गया था, ऐसे हाल में भी स्थिति साफ नहीं हो पाती कि कौन सा सेक्टर कितना ग्रो करेगा। इन सब बातों के मद्देनजर आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान स्पष्ट और स्थिर नहीं लगाए जा सकते।


*राजस्व हासिल करने में हो रही दिक्कतें-
कोरोना वायरस की वजह से लॉक डाउन में आर्थिक नुकसान आयकर विभाग को भी हो रहा है। मौजूदा हालात को देखते हुए आयकर विभाग के कुछ अधिकारियों ने बजट 2020-21 में राजस्व संग्रह के लक्ष्यों को प्राप्त करने का जो अनुमान लगाया था, उसको बदलने की मांग वित्त मंत्रालय से की है।
लॉक डाउन के चलते कई कॉर्पोरेट कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिसके चलते राजस्व संग्रह का जो अनुमान लगाया गया था, उसकी प्राप्ति अब संभव नहीं लगती। ऐसी खराब स्थिति में राजस्व संग्रह का जो टारगेट निर्धारित किया गया था उसे अब वित्त मंत्रालय द्वारा बदलने की सिफारिश आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा की गई है।
आर्थिक समीक्षा 2019-20 में देश की जीडीपी वृद्धि 6 से 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण 2020-21 के दौरान केंद्र के कुल व्यय का आकार 30.4 लाख करोड़ रहने का अनुमान लगाया था। सकल कर संग्रह 24.23 लाख करोड़ रुपये जबकि विनिवेश लक्ष्य 2.12 लाख करोड रुपए रखा गया था। बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य कुल जीडीपी का 3.5% रखा गया था। हालांकि जितने भी आंकड़े, अनुमान बजट के दौरान बताए गए थे, वह सब बेकार साबित हो रहे हैं। अभी भी स्थिति डांवाडोल वाली ही है ,इस वजह से इस समय भी कोई अनुमान या नया लक्ष्य सरकार द्वारा नहीं बनाया जा रहा है।


*टैक्स कलेक्शन पिछले साल की तुलना में कम-
वित्त वर्ष 2019-20 में प्रत्यक्ष कर संग्रह का लेखा-जोखा दिया गया, जो कि पिछले साल की तुलना में 8 प्रतिशत कम है। आयकर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस वजह से वित्त वर्ष 2020-21 के कर संग्रह के लक्ष्यों की प्राप्ति के अनुमान निरर्थक साबित हो रहे हैं।
आर्थिक गतिविधियों के सुचारू ढंग से न चल पाने की वजह से ग्रोथ रेट में कमी देखने को मिल रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत की ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 1.9% कर दिया है। अभी कुछ महीनों पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति जारी करते समय भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट को जी-20 देशों की जीडीपी से बेहतर रहने की बात कही थी। महामारी के दौर में इस प्रकार का अनुमान भारत के लिए राहत देने वाला साबित हो सकता है।

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