कल दिल्ली की एक अदालत ने 2008 के बटला हाउस मुठभेड़ के मामले में आतंकवादी अरीज़ खान को दोषी ठहराया, जो उस मुठभेड़ में ज़िंदा बच गया था, उसको सजा अगले सोमवार को सुनाई जाएगी ।
आपको याद दिलाना चाहेंगे कि वर्ष 2007-8 में दिल्ली पुलिस और आतंकवादियों की एक टोली के बीच राष्ट्रीय राजधानी के ओखला इलाके स्थित बटाला हाउस में मुठभेड़ हुई थी जिसमें दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा की जान चली गई थी, जबकि दो अन्य पुलिस अधिकारी घायल हो गए थे ।
अरीज़ खान दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में 2008 में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों का कथित मास्टरमाइंड भी है । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, जयपुर और अहमदाबाद जैसे शहरों में 2008 में कई बम धमाके हुए थे , जिसमें 2008 में 165 लोगों की जान चली गई थी और 500 से अधिक लोग घायल हो गए थे । उस पर इंटरपोल द्वारा रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के अतिरिक्त 15 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था।
2013 में, एक शहजाद अहमद, जो, खान के साथ बटला हाउस मुठभेड़ में बच गया था, को दोषी ठहरा कर सजा सुनाई गई थी । इस घटना में उनके दो साथी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए थे। एक तीसरे, मोहम्मद सैफ को मुठभेड़ स्थल से गिरफ्तार किया गया था। उत्तर प्रदेश के
आजमगढ़ ज़िले के मूल निवासी खान को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने फरवरी 2018 में गिरफ्तार किया था।|
मुजफ्फरनगर के एसडी कॉलेज से बीटेक स्नातक, खान एक विस्फोटक विशेषज्ञ है। उसे आतिफ अमीन द्वारा जिहादी नेटवर्क में शामिल किया गया था, जिसकी बटाला हाउस में हुई मुठभेड़ में मौत हो गई थी। 2008 के विस्फोटों के बाद, उसने गतिविधियों का केंद्र नेपाल स्थानांतरित कर सलीम नाम से एक नेपाली पासपोर्ट भी हासिल कर लिया था। उसने वहां एक रेस्तरां खोला और छात्रों को पढ़ाया भी।
अपने नेपाल प्रवास के दौरान, वह रियाज भटकल के संपर्क मेंआया, जिसने उसे इंडियन मुजाहिदीन को फिर से शुरू करने के लिए प्रेरित किया। 2014 में, उसने आतंकी संगठन को मजबूत करने के लिए सऊदी अरब का दौरा किया, और इंडियन मुजाहिदीन और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के लिए कार्य कर रहे कई आतंकवादियों के साथ बातचीत की।
2017 में, इंडियन मुजाहिदीन के पुनर्गठन लिए खान सऊदी अरब से भारत वापिस लौटा। वह 13 फरवरी, 2018 को भारत का दौरा कर रहा था , जब उसे भारत और नेपाल सीमा पर स्थित बनबसा पर गिरफ्तार कर लिया गया था। सिमी कार्यकर्ता अब्दुल सुहान के माध्यम से पुलिस को उसकी कार्य योजना की पूरी जानकारी मिली, जिसे पुलिस द्वारा उसकी गिरफ्तारी से एक माह पहले गिरफ्तार किया गया था |
इस घटना ने उस समय राजनैतिक रूप ले लिया था जब मीडिया में यह खबर छपी थी कि इस मुठभेड़ में मरने वाले कथित आतंकवादियों के लिए कांग्रेसी नेता सोनिया गांधी ने खूब आँसू बहाये हैं | कल दिल्ली की अदालत के इस फैसले के बाद शायद इस प्रकरण का पटाक्षेप हो जाये |
रिपोर्ट – विकास चन्द्र अग्रवाल