पीड़ित हिंदू हो या मुस्लिम,जनाब दर्द बराबर महसूस न होना भी “हैवानियत” है! पढ़िए और फर्क महसूस करिए The Indian opinion


एक दूसरे पर जान लुटाने वाले अशफाक उल्ला खान और पंडित राम प्रसाद बिस्मिल जैसे पक्के दोस्तों ने जिस देश की मिट्टी को अपने खून से सींचा हो,
जिस देश की मिट्टी ने दुनिया की लगभग सभी संस्कृतियों को अपने दामन में पनाह दी ,जहां सभी को उगने पलने और बढ़ने का मौका मिला, वहां सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में भी अगर समाज का कोई हिस्सा विभाजित नजर आता है तो यह पूरे देश के लिए पूरी कौम के लिए शर्मनाक हैl


अन्याय अत्याचार किसी के साथ भी हो सभी को एकजुट होकर उसका विरोध करना ही चाहिए समाज और आवाम अगर ऐसा ना कर पाए तो तहजीब की मौत होना तय हैl

पिछले कुछ सालों में बढ़ती सांप्रदायिक राजनीति और इंटरनेट पर झूठ और नफरत परोसने की आज़ादी ने समाज को कुछ इस कदर बांट दिया है कि किसी के साथ हैवानियत और अत्याचार होने के बाद भी बहुत से लोग पीड़ित होने वाले और पीड़ा देने वाले की जाति धर्म के आधार पर प्रतिक्रिया देने लगे हैं l

पिछले कुछ वर्षों में चाहे दिल्ली का निर्भया कांड हो या फिर जम्मू के कठुआ में हुआ आसिफा कांड या फिर 2 दिन पहले हैदराबाद में 26 वर्षीय डॉ प्रियंका रेड्डी को गैंगरेप के बाद जलाकर मार देने की शर्मनाक घटना इंटरनेट की दुनिया पर समाज का यह विभाजन आसानी से देखा जा सकता हैl इंटरनेट पर सक्रिय लाखों लोग आसमानी नहीं जमीनी है और उनमें कुछ इस कदर मानसिक बीमारी के शिकार हैं कि वह तेजी से दूसरे लाखों लोगों को उस बीमारी का वायरस “वायरल” कर रहे हैंl

लोगों ने रोती चीखते चीखती इंसानियत को भी “अपनों और गैरों” में तब्दील कर दिया है !

दुखी पीड़ित और मरने वाला यदि किसी जाति धर्म का है तो उस जाति धर्म के लोग उसके लिए जमकर आंसू बहाएंगे अन्य वर्गों के कुछ संवेदनशील लोगों को छोड़कर दूसरे मौन हो जाएंगे l

यह एक बहुत ही घटिया मानसिक रोग है जो किसी भी स्वस्थ समाज और लोकतांत्रिक देश के लिए घातक है इसकी वजह से समाज में धीरे-धीरे एक ऐसी आग पनपती जा रही है जो बारी-बारी सभी को जलआएगी क्योंकि अपराधी मानसिकता, शैतानी दिमाग किसी का सगा नहीं होताl वह तो बस अपनी हिंसा और हवस की भूख मिटाने की फिराक में रहता हैl

दुनिया के कई देशों में यह बात कई कई बार साबित हो चुकी है की हैवानियत करने वालों ने शैतानी मानसिकता वालों ने बेलगाम होने का मौका मिलते ही सबसे ज्यादा उन्हें बर्बाद किया जो उन्हें अपनी कौम का अपने मजहब और अपने धर्म का समझते थे यह बात पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत में भी लागू होती है यहां भी बेलगाम अपराधियों ने कभी जाति धर्म देखकर अपराध नहीं किया अपना फायदा दिमागी हवस और अपने लिए मुनाफिक मौका देख कर गुनाहों को पहले भी अंजाम दिया आज भी दे रहे हैं और आगे भी करते रहेंगेl

विद्या मंदिर, स्कूल कॉलेज ,मदरसे जाने वाली अपनी बेटियों की अगर हिफाजत चाहते हैं तो सबको ईमानदारी से इंसान बनना होगा और इंसानियत के फर्ज को निभाना होगाl हर किसी के साथ होने वाले जुल्म का ईमानदारी से विरोध करना होगा l
नौकरी और व्यवसाय के लिए निकलने वाली अपनी मां बहन और बीवी की हिफाजत चाहते हैं तो पीड़ित और पीड़ा पीड़ा देने वाले की जाति धर्म देखना बंद करिए ,क्योंकि आपका मानसिक विभाजन पूरी इंसानियत को कमजोर कर रहा है और हर अपराधी हर हैवान को ताकत दे रहा है चाहे वह किसी भी धर्म और मजहब का मानने वाला हो l

यहां यह जरूर ध्यान रखिए कि वह इंसान जो ईश्वर अल्लाह के बनाए किसी दूसरे इंसान को तकलीफ देने की नियत रखता है वह किसी भी धर्म और मजहब का मानने वाला नहीं है वह सिर्फ शैतान का गुलाम है और ऐसी मानसिकता को खत्म करने के लिए ऐसे लोगों की हिम्मत तोड़ने के लिए हिंदू मुसलमान सिख ईसाई सभी को एकजुट होकर आगे बढ़कर काम करने की जरूरत है l

यह एकजुटता सोशल मीडिया समेत समाज के सभी मंचों पर दिखाई पढ़नी चाहिएl हर जिंदा इंसान को या ध्यान रखना होगा कि आंसू किसी के भी बहे, तकलीफ में कोई भी हो उसे सहारा देने के लिए और जुल्म का विरोध करने के लिए बिना भेदभाव आगे बढ़ना ही इंसान होने का सबूत है, हर धर्म और मजहब की शिक्षा का सार भी यही हैl