बलिया: पुलिस प्रशासन सतर्क होता तो ना होती पत्रकार रतन सिंह की हत्या, जानिए, कहां हुई लापरवाही!

दीपक मिश्र:

इसमें कोई संदेह नहीं की उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में ज्यादातर अफसर कोरोना संक्रमण सामना करने के लिए और बेहतर कानून व्यवस्था के लिए खूब दौड़ लगा रहे हैं खूब मेहनत कर रहे हैं लेकिन सुनियोजित रणनीति और कुशल मार्गदर्शन के अभाव में मेहनत भले ही खूब हो रही हो लेकिन नतीजे बेहतर नहीं है।

सुभाष दुबे, डीआईजी, आजमगढ़

बलिया में बीती रात पत्रकार रतन सिंह की हत्या का मामला सीधे तौर पर पुलिस प्रशासन की पेशेवर रणनीति में कमियों को उजागर करती है। आजमगढ़ रेंज के डीआईजी ने अपने बयान में यह स्पष्ट किया है कि पत्रकार रतन सिंह और उनके पड़ोस के एक परिवार के बीच काफी समय से गंभीर भूमि विवाद था जिसमें पहले भी दोनों पक्षों के बीच फौजदारी का विवाद हो चुका था।

दोनों पक्षों ने एक दूसरे के ऊपर क्रॉस केस भी दर्ज कराया था यानी पुलिस प्रशासन को यह अच्छी तरह मालूम था कि दोनों पक्षों के बीच हालात बहुत नाजुक थे दुश्मनी इस हद तक गंभीर थी।
यह पहले ही स्पष्ट हो चुका था कि दोनों एक दूसरे को नुकसान पहुंचा चुके हैं और आगे भी नुकसान पहुंचा सकते हैं और यह मामला पुलिस प्रशासन के रजिस्टर f.i.r. का भी हिस्सा था।

अब सवाल यह आता है कि पुलिस प्रशासन की वह कौन सी रणनीतिक कमजोरियां थी वह कौन सी लापरवाही थी जिसके चलते पत्रकार रतन सिंह को सरेआम गोली मार दी गई ?  जानकारों के मुताबिक दोनों पक्षों में गंभीर विवाद होने के बाद पुलिस को और प्रशासन को सबसे पहले तो उनके भूमि विवाद को गंभीरता से सुलझाना चाहिए था और भूमि विवाद सुलझा कर दोनों पक्षों की हदबंदी करके उन्हें अपनी अपनी भूमि की हदों में रहने का स्पष्ट निर्देश देना था।

यदि भूमि विवाद सुलझा दिया जाता और दोनों पक्ष अपनी अपनी हदों में रहते तो ऐसी स्थिति न पैदा होती।  दूसरी बात, की दोनों पक्षों से जुड़े लोगों के शस्त्र लाइसेंसों की जांच होनी चाहिए थी जहां गंभीर दुश्मनी हो वहां शस्त्र लाइसेंस से क्या स्थिति उत्पन्न हो सकती है इसका भी उचित अध्ययन होना चाहिए।
लाइसेंसी असलहा के अलावा दोनों पक्षों से जुड़े लोगों की आकस्मिक जांच और चेकिंग भी जरूरी होती है जिससे अवैध हथियारों का भी पता लगाया जा सके क्योंकि आमतौर पर ऐसी घटनाओं में ऐसी हत्याओं में अवैध हथियारों का इस्तेमाल होता है।

तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है स्थानीय अभिसूचना और सुरक्षा व्यवस्था का, जब पुलिस प्रशासन को यह पता था कि दोनों पक्षों में गंभीर शत्रुता चल रही है तो उन्हें LIU  के जरिए या गांव में मौजूद पुलिस के चौकीदार और स्वतंत्र सूत्रों के जरिए दोनों परिवारों के बीच होने वाली गतिविधियों और छोटे-मोटे विवादों पर सतर्क दृष्टि रखनी थी।

बताया जा रहा है कि कल शाम को पत्रकार रतन सिंह के कब्जे वाली भूमि पर दूसरे पक्ष ने अपना भूसा और पुआल रख दिया जिसके बाद दोनों पक्षों में कहासुनी और विवाद हुआ और कुछ समय के बाद पत्रकार रतन सिंह को गोली मार दी गई।
यानी इस विवाद के बाद तत्काल यदि पुलिस मौके पर पहुंच जाती है तो इस घटना को रोका जा सकता था इतनी गंभीर दुश्मनी होने के बावजूद पुलिस ने संबंधित गांव में दोनों पक्षों के घर के आस-पास  सक्रिय पिकेट ड्यूटी और सुरक्षा व्यवस्था स्थापित करने में लापरवाही बरती।

पुलिस प्रशासन के अधिकारी अंदाजा नहीं लगा पाए की पत्रकार, जो कि प्रशासनिक तंत्र से जुड़े होते हैं और अपने परिवार का प्रतिनिधित्व भी करते हैं ऐसे में किसी भी विवाद में पत्रकारों की जान को खतरा सबसे ज्यादा होता है क्योंकि विपक्षियों की यह मान्यता होती है कि पत्रकारों की वजह से विपक्षी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाते क्योंकि पत्रकार ज्यादा सक्रिय रहते हैं इसलिए अक्सर ऐसा देखा गया है कि ऐसी घटनाओं में पत्रकारों को पहले निशाना बनाया जाता है जिससे कि दूसरा पक्ष  अपनी बात पुलिस प्रशासन तक न पहुंचा सकें, जिससे कि वह अपने परिवार को न्याय ना दिला सके।

पिछले दिनों गाजियाबाद में भी ऐसा ही हुआ था जब अपने परिवार की बेटियों के साथ छेड़खानी का विरोध करने पर मुकदमा दर्ज करवाने के बाद पत्रकार की हत्या कर दी गई थी क्योंकि पत्रकार अपने परिवार को इंसाफ दिला रहा था इसी तरह बलिया में रतन सिंह की हत्या कर दी गई क्योंकि रतन सिंह अपने परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, अपने परिवार का नेतृत्व कर रहे थे और अपने परिवार की भूमि की रक्षा कर रहे थे और यह सारी बातें कई महीनों पहले से बलिया के पुलिस प्रशासन की जानकारी में थी।

जिस तरह उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ महीनों में लगातार आपराधिक घटनाएं बढ़ती हुई देखी जा रही हैं उसके बाद यह कहा जा सकता है कि अपराध नियंत्रण कि रणनीतियों पर गृह विभाग और पुलिस विभाग के वरिष्ठ अफसरों को नए सिरे से चिंतन करने की आवश्यकता है क्योंकि सवाल जनता की जान माल की सुरक्षा का है।

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