बाबा रामदेव का रहस्य: रामकृष्ण यादव जन्म से नहीं कर्म से बने “ब्राह्मण” देश के “योगगुरु!”

हरियाणा के महेंद्र नगर जिले के अली सैयद पुर गांव के रामनिवास यादव और गुलाबो देवी के घर में 1965 में जन्मे पुत्र रामकृष्ण यादव अब हैं योग गुरु रामदेव, जिनको करोड़ों ब्राह्मण क्षत्रिय करते हैं प्रणाम क्योंकि सनातन हिंदू धर्म जाति नहीं कर्म की श्रेष्ठता का पक्षधर है।

रामकृष्ण यादव उर्फ बाबा रामदेव ने प्रारंभिक जीवन में अपने गांव में शिक्षा हासिल करने के बाद वेद और संस्कृत का अध्ययन किया उन्होंने खानपुर के गुरुकुल में आचार्य प्रद्युम्न और आचार्य बल्लभ देव से सनातन धर्म का गहन अध्ययन प्राप्त किया किशोरावस्था में ही रामकृष्ण यादव सनातन संस्कृति और वेदों के अध्ययन में अपने गुरुओं के सानिध्य में इतना आनंद प्राप्त करने लगे कि उन्होंने जीवन भर ब्रह्मचारी रहने का निर्णय ले लिया और यहीं से योग शिक्षा भी ग्रहण की योग और आयुर्वेद में उनकी रुचि बढ़ने के साथ ही उन्होंने सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया।

रामकृष्ण यादव उर्फ बाबा रामदेव ने 1995 में दिव्य योग ट्रस्ट मंदिर की स्थापना हरिद्वार में की 2003 से उनके कार्यक्रम आस्था चैनल समेत कई टीवी चैनल में प्रसारित होने लगे और सहारा परिवार के सहयोग से उन्होंने देश में योग शिविरों की शुरुआत की योग और आयुर्वेद को लेकर बाबा रामदेव के अभियान को संपूर्ण हिंदू समाज से व्यापक समर्थन मिला।

अमिताभ बच्चन शिल्पा शेट्टी समेत देश के तमाम प्रतिष्ठित नागरिक नेता अभिनेता उनके योग शिविरों में आते थे धीरे-धीरे उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई और उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक विषयों में भी रुचि लेना शुरू कर दिया भ्रष्टाचार को लेकर उन्होंने देश में जागरूकता अभियान चलाया जिसको लेकर कांग्रेस सरकार से उनका विवाद भी हुआ और भाजपा से उनकी निकटता बढ़ गई ।

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और मुखिया अखिलेश यादव से भी उनके नजदीकी संबंध हैं और देश भर के यादव समाज में बाबा रामदेव की मजबूत पकड़ है समाज के सभी वर्गों में उनके समर्थक हैं और हिंदू समाज में वह तेजी से लोकप्रिय होते जा रहे हैं क्योंकि माना जाता है कि उनके प्रयासों से योग और आयुर्वेद को पूरे विश्व में और अधिक मजबूती मिली है।

हरियाणा के एक साधारण परिवार में जन्मे रामनिवास यादव और गुलाबो देवी के बेटे रामकृष्ण यादव उर्फ बाबा रामदेव आज न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में प्रमुख व्यक्तित्व के रूप में स्थापित हो चुके हैं बेहद कम समय में तेजी से व्यवसायिक वृद्धि करते हुए उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी लगभग 10 हजार करोड का कारोबार कर रही है इसके अलावा उन की आयुर्वेदिक दवाएं और खाद्य उत्पाद बहुत तेजी से बाजार में अपना दायरा बढ़ाते जा रहे हैं ।

ग्रामीण यदुवंशी परिवार में जन्मे रामकृष्ण यादव ने योग और अध्यात्म के क्षेत्र में बचपन से ही स्वयं को पाया और इसी क्षेत्र में आगे बढ़ने का फैसला किया और अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ब्राम्हण नीतियों का अनुसरण किया ईश्वर की आराधना योग ध्यान में लीन रहते हुए राम कृष्णा यादव ने और बाबा रामदेव के नाम से समाज में लोकप्रियता हासिल की यदुवंशी परिवार से आए बाबा रामदेव हिंदू धर्म की उस विराट आध्यात्मिक परंपरा के प्रबल उदाहरण हैं जो जन्म आधारित नहीं है कर्म और योग्यता पर आधारित है जहां किसी भी जाति वर्ण में जन्म लेने वाला व्यक्ति अपने योग्यता परिश्रम और अध्ययन के आधार पर ब्राह्मण योग ऋषि और महर्षि योग गुरु बन सकता है आज हजारों ब्राह्मण और क्षत्रिय यदुवंश में जन्मे रामकृष्ण यादव और बाबा रामदेव को प्रणाम करते हैं उन्हें चरण स्पर्श करते हैं कोई उनकी जाति नहीं पूछता सभी उन्हें योग गुरु यानि ब्राह्मण मानते हैं। बाबा रामदेव की सफलता और उन्हें संपूर्ण हिंदू समाज में मिल रहे सम्मान से उन लोगों के मुंह पर ताला लग गया है जो हिंदू धर्म पर जातिवाद का आरोप लगाते हैं और यह कुतर्क करते हैं कि हिंदू धर्म में जन्म के आधार पर लोगों को छोटा बड़ा माना जाता है बाबा रामदेव समेत आज देश में ऐसे दर्जनों चर्चित संत महात्मा है जो जन्म से ब्राह्मण नहीं है परंतु उनके परिश्रम ज्ञान और उनकी आध्यात्मिक रुचि की वजह से लाखों लोग उन्हें ब्राह्मण मानते हैं और प्रतिष्ठित धर्म गुरुओं का सम्मान देते हैं।

आज जब आयुर्वेद और एलोपैथ के बीच बहस चल रही है इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बाबा रामदेव का विरोध कर रही है तब सोशल मीडिया और दूसरे मंच ऊपर हजारों लाखों ब्राह्मण क्षत्रिय संस्कृति और आयुर्वेद को मानने वाले लाखों करोड़ों हिंदू समाज के लोग एकजुट होकर बाबा रामदेव का पक्ष ले रहे हैं और मजबूती के साथ उनके लिए डटे हैं रामकृष्ण यादव उर्फ बाबा रामदेव का जीवन और उनकी सफलता सनातन संस्कृति उन सिद्धांतों को एक बार फिर प्रमाणित करती हैं जो कि कर्म की प्रधानता को महत्व देते हैं जन्म को नहीं सनातन संस्कृति या कहती है की जन्म से नहीं कर्म ज्ञान और योग्यता से व्यक्ति महान होता है सनातन हिंदू धर्म पर जो लोग जातिवाद का आरोप लगाते हैं उन्हें बाबा रामदेव का जीवन देखना चाहिए उनकी सफलता को देखना चाहिए और और उन्हें समाज के सभी वर्गों में मिल रहे सम्मान को देखना चाहिए।

स्पेशल डेस्क द इंडियन ओपिनियन:

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