विदेशी कंपनी ट्विटर भारत में अपनी सोशल नेटवर्किंग साइट लोकप्रिय होने के बाद सीधे मनमानी पर उतर आई है हालत ये है कि टि्वटर बहुमत से चुनी हुई देश की लोकतांत्रिक सरकार से जवाब तलब कर रही है और सरकार के निर्देशों को मानने की बजाय सरकार के ऊपर देश में “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” को दबाने का गंभीर आरोप लगा रही है हालत यह है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ट्विटर के खिलाफ भारतीय कानूनों को लागू करने के बजाए विधिक कार्यवाही करने की बजाय रक्षात्मक रुख में दिखाई पड़ रही है।
पिछले दिनों दिल्ली पुलिस ट्विटर के ऑफिस गई तो ट्विटर के अधिकारियों ने ऐसा माहौल बनाया कि जैसे दिल्ली पुलिस को ट्विटर के खिलाफ जांच करने का अधिकार ही नहीं है, ट्विटर पर भारत के कानून लागू ही नहीं होते देश के पुलिस अधिकारी देश में कहीं भी जरूरत पड़ने पर कानूनी कार्रवाई करने का संवैधानिक अधिकार रखते हैं। लेकिन ट्विटर के दफ्तर दिल्ली पुलिस चली गई और वहां एक नोटिस तामील करा दिया तो ट्विटर ने ऐसा माहौल बनाया कि दिल्ली पुलिस में गुंडागर्दी करने आई थी।
केंद्र के सूचना प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ट्विटर की मनमानी पर कानूनी कार्यवाही का ऐलान करने की बजाय ट्विटर के आरोपों पर सरकार की ओर से सफाई दे रहे हैं। रविशंकर प्रसाद कहते हैं कि ट्विटर भारत के बनाए हुए कानूनों को मानने के लिए तैयार नहीं है मनमानी और अराजकता को बढ़ावा दे रहा है।
लेकिन मंत्री जी को यह बोलने के पहले अपने गिरेबान में झांक कर जवाब देना चाहिए कि आप केंद्र की सरकार चला रहे हैं और देश में कानून का राज कायम करने में आपकी बड़ी जिम्मेदारी है और आप अपने मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आने वाली व्यवस्थाओं को ही लागू नहीं कर पा रहे हैं।
सूचना प्रसारण मंत्री का दायित्व है सोशल मीडिया और सोशल नेटवर्किंग साइट पर देश के कानूनों का उल्लंघन ना होना सुनिश्चित करें ।
लेकिन ट्विटर को भारतीय कानूनों को पालन करने के लिए बाध्य करने की बजाय रविशंकर प्रसाद की सफाई देने से लोगों में निराशा और नाराजगी है। जिस तरह से केंद्र सरकार और भाजपा नेतृत्व देश में अराजकता के खिलाफ कठोर रवैया अपनाने की बजाय रक्षात्मक रवैया अपना रहा है उससे, सरकार और बीजेपी को हर तरह से नुकसान उठाना पड़ सकता हैl
डेस्क द इंडियन ओपिनियन