मजदूरों से रेल किराया: महामारी में भी केंद्र की संवेदनहीनता राज्यों से तालमेल का अभाव,जानिए इस खबर में!

रिपोर्ट – आदित्य कुमार

जो मजदूर पिछले 40 दिनों से लॉक डाउन का दर्द झेल रहे थे बेकारी और भुखमरी का दर्द झेल रहे थे उन मजदूरों से रेलवे का किराया लिया जाना वाकई में दर्दनाक है और सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता अफसरों और राजनीतिक नेतृत्व के निर्दयी मानसिकता को दर्शाता है।

मीडिया एजेंसी से बातचीत में मजदूरों ने बताया है कि उनसे किराया लिया गया वही रेलवे के अधिकारी और रेल मंत्री ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है।

उनके द्वारा इशारों में या कहा जा रहा है कि कुल खर्च का 15% राज्य और 85% रेलवे के द्वारा वाहन किया जाएगा कुल खर्च में सामान्य किराया ही नहीं बल्कि ट्रेनों का आना जाना सोशल डिस्टेंसिंग का खर्चा सैनिटाइजेशन का खर्चा यानी बहुत कुछ जोड़ा गया है और इस लिहाज से रेल टिकट कई गुना महंगा निर्धारित हो रहा है लेकिन यह बात खुलकर रेलवे के द्वारा स्पष्ट नहीं की गई है जानबूझकर कन्फ्यूजन फैलाया गया है जिसके चलते सियासत का पूरा मौका दिया गया है।

बहुत से मजदूरों से किराया वसूला गया है यह बात  स्पष्ट हो चुकी है कि इस मामले में केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय की लापरवाही और संवेदनहीनता  उजागर हो चुकी है क्योंकि जब तक सोनिया गांधी ने इस मामले में सियासी माइलेज लेने वाला बयान नहीं दिया तक केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय खामोश बना हुआ था।

लेकिन सोनिया गांधी के घोषणा करने के बाद ही अपना अपना सियासी नुकसान होता देख केंद्र और राज्यों की कई सरकारें मजदूरों का हितैषी होने का दावा करने लगी। कई राज्य सरकारों ने कहा कि वह मजदूरों का सारा किराया देंगे वहीं अब बीजेपी आईटी सेल और उनके प्रवक्ता भी कह रहे हैं कि मजदूरों से किराया नहीं लिया जाएगा लेकिन यह बात पहले क्यों नहीं कहीं जब श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई गई।

अगर मजदूरों से पैसा नहीं लेने की मंशा थी तो यह बात पहले ही घोषित करनी थी लेकिन जब मजदूरों के जरिए यह खुलासा होने लगा कि उनसे पैसे लिए गए हैं तब कांग्रेस ने इस मुद्दे का जबर्दस्त सियासी फायदा लिया और बीजेपी ने अपना नुकसान होता देख 15 परसेंट और पचासी परसेंट की बात शुरू कर दी।

कुल मिलाकर यह भी स्पष्ट हुआ है कि केंद्र और राज्य के बीच बेहतर तालमेल का अभाव है क्योंकि यदि केंद्र सरकार की मंशा थी कि यात्रियों से  मजदूरों पैसा ना जाए तो फिर क्यों राज्य सरकारों को स्पष्ट निर्देश पहले से ही नहीं दिए गए ?

महामारी के भयंकर संकट में भी केंद्र सरकार की ऐसी लापरवाही उजागर होना चिंताजनक है!

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