रिपोर्ट – देवव्रत शर्मा
सोनिया गांधी के इस ऐलान के बाद कि कांग्रेस पार्टी सभी मजदूरों का रेल किराया का खर्चा उठाएगी जो लोग डाउन में फंसे हुए हैं और अपने घरों को वापस आना चाहते हैं।
इस ऐलान के बाद सियासी पारा काफी ऊपर चला गया और जबरदस्त राजनीतिक नुकसान की आशंका देखते हुए भारतीय जनता पार्टी की ओर से कई बार सोनिया के इस बयान के खिलाफ बयान जारी किए गए।
भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा और आईटी सेल के प्रवक्ताओं ने यह बताया कि मजदूरों से कहीं कोई किराया नहीं लिया गया है और 15% किराया राज्य सरकारों को वाहन करना है जबकि 50% किराया केंद्र सरकार रेल मंत्रालय वहन करना है।
लेकिन भाजपा के प्रवक्ता इसके बारे में रेलवे बोर्ड अथवा रेल मंत्रालय का कोई स्पष्ट पूर्व का आदेश नहीं दिखा पाए, गृह मंत्रालय के एक पत्र को जरूर संबित पात्रा ने ट्वीट किया और राहुल गांधी को यह बताने की कोशिश की की रेलवे सीधे कहीं टिकट नहीं बेचेगा राज्य सरकार और केंद्र सरकार उनका खर्चा वाहन करेंगे।
लेकिन यह सारा उपक्रम तब हुआ जब सोनिया गांधी ने इस मुद्दे पर सियासी बाजी मार ली तब अपना नुकसान होता देख भाजपा के लोग मैदान में आए इसके पहले मजदूर रेल यात्रियों को निशुल्क यात्रा कराने से संबंधित कोई भी स्पष्ट घोषणा सत्ता पक्ष व विपक्ष के द्वारा नहीं की गई।
आज तक मीडिया समूह ने बताया कि कई मजदूरों ने बातचीत में इस बात का खुलासा किया कि उसे रेल का किराया लिया गया।
इतना ही नहीं रेलवे अधिकारियों का एक पत्र भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें यह स्पष्ट लिखा है कि राज्य सरकारें यात्रा करने वाले लोगों यानी मजदूरों से किराया वसूल कर रेलवे को भेजेगी।
यानी यह स्पष्ट हो रहा है कि रेल मंत्रालय के द्वारा मजदूरों को निशुल्क रेल यात्रा करवाने की कोई मंशा नहीं थी अब राजनीतिक घमासान के बाद जरूर डैमेज कंट्रोल की कोशिश हो रही है।