योगी के अफसरों ने किया 25000 गरीब होमगार्ड परिवारों की रोजी-रोटी छीनने वाला फैसला,जनता में नाराजगी,भाजपा को हो सकता है बड़ा राजनीतिक नुकसान! THE INDIAN OPINION

एक तरफ पूरे देश में मंदी और बेरोजगारी को लेकर पहले से माहौल बेहद निराशाजनक है और हर तरफ बहस छिड़ी हुई है भाजपा की सरकारों पर समुचित रोजगार न दे पाने का आरोप भी लग रहा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार रोजगार के नए अवसर देने पर जोर दे रहे हैं लेकिन वही योगी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने सरकार को गुमराह करके एक ऐसा फैसला करवा दिया है जिससे 25000 गरीब परिवार रोजी रोटी को तरसने लगेंगे।

25000 गरीब होमगार्डों को सेवा से हटाने का फैसला

जी हां, कुछ दिनों पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस विभाग के कंधे से कंधा मिलाकर कानून व्यवस्था और ट्रैफिक व्यवस्था ने अपनी सेवाएं देने वाले गरीब होमगार्डों का भत्ता बढ़ाने की बात कही थी। ज्यादातर होमगार्ड के जवान बेहद गरीब परिवारों से आते हैं क्योंकि उन्हें कम पैसे में मुश्किल परिस्थितियों में काम करना पड़ता है पुलिस के साथ रात दिन कड़ी मशक्कत करके ड्यूटी करनी पड़ती है और उसके बदले उन्हें संसाधनों और सुविधाओं की कमी से भी जूझना पड़ता है। कुल मिलाकर उनकी स्थिति “पुलिस के नौकर” जैसी होती है फिर भी वह गरीबी और बेरोजगारी के चलते पुलिस की ड्यूटी में पूरा सहयोग करते हैं और पूरी ईमानदारी से हर तरह की जिम्मेदारी निर्धारित समय में निभाते हैं।

मुख्य सचिव के आदेश के बाद एडीजी पुलिस मुख्यालय ने दिया सेवा समाप्ति का निर्देश

पहले से ही सरकारी शोषण के शिकार होमगार्डों को एक तरफ सुविधाएं बढ़ाने पर चर्चा चल रही थी लेकिन इसी बीच मुख्य सचिव की अगुवाई में हुई एक बैठक में यह फैसला कर दिया गया कि उत्तर प्रदेश में 25000 होमगार्डों को सेवा से हटा दिया जाएगा यानी उन्हें सेवा पर नहीं रखा जाएगा ऐसे में यह 25,000 परिवार बेरोजगारी और भुखमरी का शिकार हो जाएंगे।

जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय के एडीजी बीपी जोगदंड ने इस बात का आदेश जारी कर दिया है। उन्होंने कहा है कि बीते 28 अगस्त को मुख्य सचिव की बैठक में लिए गए फैसले के क्रम में यह आदेश जारी किया जा रहा है और 25000 होमगार्ड स्वयंसेवकों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से निरस्त की जा रही हैं।

प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर भी खड़ी हो सकती हैं मुश्किलें

योगी सरकार के इस फैसले से एक तरफ जहां 25000 परिवार बेरोजगारी का सामना करेंगे भुखमरी का सामना करेंगे वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में कानून व्यवस्था और सुरक्षा को लेकर भी नई चुनौतियां खड़ी होंगी क्योंकि गांव शहर कस्बों और मोहल्लों में पिकेट ड्यूटी बैंक ड्यूटी सरकारी दफ्तरों गोदामों संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा और ट्रैफिक ड्यूटी में होमगार्ड के रहने से पुलिस को काफी आसानी होती थी और यह अतिरिक्त मानव संसाधन सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाता था। ऐसे में 25000 जवानों को अचानक हटा दिए जाने से सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी गंभीर चुनौती पैदा होगी और बहुत स्थानों से सुरक्षा ड्यूटी को वापस लेना पड़ेगा।

योगी सरकार के इस फैसले से भाजपा को हो सकता है बड़ा राजनीतिक नुकसान

भाजपा सूत्रों के मुताबिक यह फैसला सरकार और पार्टी को लोकप्रियता की ओर अकेले का क्योंकि पहले से ही देश में मंदी और बेरोजगारी को लेकर काफी नकारात्मक माहौल बनाया जा रहा है ऐसे में सरकार के इस फैसले का विपक्षी दलों को लाभ मिल सकता है और उपचुनाव और आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इस फैसले से 25000 होमगार्डों के परिवारों के सामने गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो जाएंगे आज एक होमगार्ड को सरकार से मानदेय के रूप में महीने में लगभग 10 से ₹12000 मिलते हैं और क्योंकि ज्यादातर होमगार्ड गरीब परिवारों के हैं और मजबूरी में ही इस कठिन ड्यूटी का चुनाव करते हैं इसलिए या ड्यूटी उनके लिए बड़ा सहारा है। 25000 होम गार्डों की सेवा समाप्ति का फैसला बेहद कठोर फैसला है और कोई भी लोकप्रिय सरकार ऐसे फैसलों से बचती है।

क्या सरकार के कुछ वरिष्ठ अधिकारी जानबूझकर करवा रहे हैं “अलोकप्रियता वाले फैसले”

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या योगी सरकार के कुछ वरिष्ठ अधिकारी मुख्यमंत्री और भाजपा सरकार को लोकप्रिय बनाने के काम में भी जुटे हैं। क्योंकि ऐसे फैसले जिनसे जनता को भी नुकसान और सरकार को भी राजनीतिक नुकसान हो ऐसे फैसलों को लेना ऐसे फैसलों के लिए सरकार को सलाह देना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है।
लोगों को उम्मीद है कि 25000 होमगार्ड परिवारों के समस्या और दुख दर्द को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार इस फैसले की पुनः समीक्षा करेगी।

रिपोर्ट – देवव्रत शर्मा