राप्ती का कहर : इस गांव के लोग पलायन को मज़बूर, फिर भी 73 सालों से नहीं सुन रही सरकार!

भारतीय जनता पार्टी नीत योगी सरकार जहां अपने शासनकाल में लोगों की ज़िंदगी में खुशहाली लाने से जुड़े तमाम दावे करती है। वहीं, दूसरी तरफ अधिकारियों की हीलाहवाली के कारण लोगों की ज़िंदगी बदतर होती दिखाई दे रही है। बलरामपुर जिले का 1500 की आबादी वाला एक सरकारी तंत्र के उदासीनता की भेंट चढ़ता नज़र आ रहा है। ग्रामीण पलायन करने पर मजबूर हैं।

पलायान को मज़बूर हैं ग्रामीण :-

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर झौहना ग्राम पंचायत के कल्याणपुर मटहा मज़रे के लोग राप्ती नदी के बाढ़ से प्रभावित होकर गांव में रहने वाले 300 परिवार पलायन करने को मजबूर नज़र आ रहे हैं। राप्ती नदी के कटान के कारण किसानों की तकरीबन 500 से 700 बीघा जमीन और सैंकड़ों लोगों का घर, गांव का प्राथमिक विद्यालय और मंदिर कटकर राप्ती में समाहित हो चुका है।

लोग तैर कर जाते हैं बाजार :-

कल्याणपुर मटहा गांव के चारों तरफ राप्ती नदी विकराल रूप दिखाई दे रहा है। इतना ही नहीं गांव के लोग अपने घरों को ख़ुद उजाड़ रहे हैं, जिससे थोड़ी बहुत चीज़ों को बचाया जा सके। लेकिन राप्ती नदी के विकरालता के सामने सारी कोशिश बेकार साबित हो रही है। गांव से लोग पलायन करने को मजबूर हैं। चारों तरफ से राप्ती नदी से घिरे, टापू बन चुके गांव से डूब क्षेत्र में तैरकर पा करने को मजबूर हैं। लोग बाज़ार जाने के लिए भी या तो नाव का सहारा लेते हैं या तैरकर अपना रास्ता तय करते हैं।

मूलभूत सुविधाओं से वंचित है गांव :-

अपनी समस्याओं पर बात करते हुए ग्रामीण बताते हैं कि देश को आज़ाद हुए 73 साल बीत चुका है। लेकिन सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से यह गांव अभी भी वंचित है। अगर किसी की तबीयत खराब होती है तो इलाज की सुविधा ना होने और यहां से बाहर निकलने का संसाधन ना मिल पाने के कारण वह दम तोड़ देता है। इस कारण से गांव में पिछले वर्ष और इस वर्ष में लगभग दर्जन भर लोगों की मौत हो चुकी है।

पिछले साल कट गया स्कूल भी :-

ग्रामीण बताते हैं कि गांव के लोग पहले भी अशिक्षित थे और अब भी हैं। गांव में कोई स्कूल न होने के कारण बच्चे भी अशिक्षित हैं। गांव में एक प्राइमरी स्कूल था। वह भी इसी साल नदी में समाहित हो गया। गांव में अभी तक बिजली नहीं आ पाई है। ना ही पेय जल की कोई सुविधा है। यहां पर हम लोग बदतर जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

यहां नहीं होती है युवक-युवतियों की शादी :-

ग्रामीणों ने बताया कि इन कारणों से हमारे गांव में कोई रिश्ता (शादी) भी नहीं करना चाहता। गांव के कई नौजवानों की अभी तक शादी नहीं हो सकी है। कारण गांव में रास्ते का ना होना और मूलभूत सुविधाओं से गांव का पूरी तरह से कटा होना। हमारा यह गांव साल के दस महीने राप्ती नदी की बाढ़ से घिरा रहता है। यहां आने जाने के लिए केवल एक संसाधन है। वह है सरकार द्वारा दी गयी एक टीन की नाव, जिसे चलाने के लिए नियुक्त कर्मी भी नहीं आता है। हम गांव वाले ही ख़ुद नाव को खे कर अपने अपने गंतव्य तक जाते हैं।

नदी के कटान से दूर विस्थापित करने की है मांग :-

कल्याणपुर मटहा के लोगों का कहना है कि हम लोगों ने कई बार सदर विधायक व जिला प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। जब कई बार शिकायत की जाती है तो बाढ़ खंड अधिकारी आकर यहां बोरी लगा जाते हैं। लेकिन गांव में कटान को रोकने में वह सब ना-कामयाब है। हम लोग अपनी किस्मत का रोना रो रहे हैं। हमने कई बार गांव को नदी के कटान से दूर विस्थापित करने की गुहार लगाई है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

मुआवज़े के नाम पर मज़ाक कर रहा है जिला प्रशासन :-

पिछले साल हुई कटान के बारे में कल्याणपुर मटहा के लोग बताते हैं कि पिछले साल तकरीबन डेढ़ सौ परिवारों का घर कट कर नदी में समाहित हो गया था। जहां पर गांव पहले बसा हुआ था। अब वह जगह नदी में एक टापू की तरह नजर आता है। जिला प्रशासन ने लोगों की सहायता करने के लिए मुआवजा देने की घोषणा की थी। लेकिन महज 35 लोगों को ही 4100-4100 रुपए का मुआवजा मिला। बचे हुए लोग आज भी सरकार से मुआवजा पाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। सरकार या जिला प्रशासन द्वारा आज तक इसके अतिरिक्त कोई सहायता नहीं प्रदान की गई है। हम लोगों को घर दोबारा बनाने के लिए भी सरकार द्वारा कोई सहायता नहीं दी गयी। यह मज़ाक नहीं है तो क्या है?

ग्रामीणों की हो रही है हर तरह से सहायता :-

इसके संबंध में अपर जिला अधिकारी/आपदा प्रबंधन अधिकारी अरुण कुमार शुक्ला से जब बात की गई तो उन्होंने बताया की कटान को रोकने के लिए वहां पर काम कराया जा रहा है। ग्रामीणों के आने जाने के लिए दो नाव हैं। ग्रामीणों की आवश्यकता अनुसार एक नाव और बढ़ा दी जाएगी, जिससे वहां पर आने जाने में लोगों को परेशानी ना हो। ग्रामीणों के लिए राहत कार्य तेजी से किए जा रहे हैं।

कब मिलेगी इन लोगों को राप्ती के कहर से आज़ादी :-

अब अधिकारी या नेता कुछ भी दावे करें। लेकिन कल्याणपुर मटहा के लोग लगातार कई सालों से परेशानी को झेलते आ रहे हैं। कटान में जहां उनके घर नष्ट हो गए। खेत नष्ट हो गए। वहीं, बच्चों को पढ़ने-लिखने के लिए एक विद्यालय और पूजा करने की जगह भी अब उनके पास नहीं है। ग्रामीण, जिला प्रशासन से खुद को विस्थापित करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन जिला प्रशासन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। देखने वाली बात होगी कि जिला प्रशासन की आँख इन ग्रामीणों की समस्याओं के लिए कब खुलती है और कब इन ग्रामीणों को राप्ती के कहर से निजात मिल पाता है?

रिपोर्ट – योगेंद्र त्रिपाठी, बलरामपुर

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