हत्या के जुर्म में सज़ायाफ्ता शबनम की फांसी की सज़ा को उम्र कैद में तब्दील करने की राज्यपाल से गुहार।

लखनऊ – हमने कुछ समय पूर्व इस हत्या कांड पर एक विस्तृत समाचार प्रकाशित किया था । आज यह हत्याकाण्ड एक बार फिर से सुर्खियों में है।

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने अमरोहा में 13 साल पहले प्यार में अंधी होकर मां-बाप सहित परिवार के सात लोगों की जघन्य हत्या करने वाली शबनम को फांसी की सजा से बचाने के लिए हाईकोर्ट की महिला अधिवक्ता की ओर से भेजे गए पत्र पर नियमानुसार विचार व उचित फैसला लेने के लिए राज्य सरकार को भेज दिया है। गवर्नर सचिवालय ने इस संदर्भ में कारागार विभाग के प्रमुख सचिव को औपचारिक पत्र भी भेज दिया है। महिला अधिवक्ता सहर नकवी ने परिवार के सात लोगों को मौत के घाट उतारने वाली शबनम की फांसी को उम्रकैद में तब्दील करने के लिए राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को भेजे पत्र में मानवीय आधार पर तर्क देते हुए कहा है कि आज़ाद भारत में अब तक किसी महिला को फांसी नहीं हुई है। साथ ही फांसी से जेल में जन्मे शबनम के 13 वर्षीय बेटे के भविष्य के लिए भी उचित नहीं होगा।

पत्र में लिखा गया है कि शबनम को फाँसी देना आजाद भारत में किसी महिला को फांसी की पहली घटना होगी और अगर ऐसा होता है तो विश्वभर में भारत और यहाँ रहने वाली महिलाओं की छवि खराब होगी, क्योंकि इस देश में महिलाओं को देवी की तरह पूजने व सम्मान देने की परंपरा है। अधिवक्ता ने पत्र में लिखा कि वह शबनम के अपराध या उसकी सज़ा को लेकर कोई सवाल नहीं खड़ी कर रही है, बल्कि यह चाहती हैं कि उसकी फांसी की सज़ा उम्र कैद में तब्दील कर दी जाए, क्योंकि उसे फांसी देने से जेल में जन्मे उसके इकलौते बेटे ताज उर्फ़ बिट्टू पर गलत और नकारात्मक असर पड़ सकता है।

समाज हमेशा ताज को ताना मारेगा, उसका मज़ाक उड़ाएगा और उससे दूरी बना सकता है। इससे बेटे का मानसिक विकास प्रभावित हो सकता और उसका भविष्य अंधकारमय हो सकता है। राज्यपाल के यहां से सरकार को पत्र स्थानांतरित करने की जानकारी मिलने के बाद सहर नक़वी ने कहा कि वह जल्द ही कारागार विभाग के प्रमुख सचिव को फ़ाइल सौंपकर उनके यहां अपनी मांग को लेकर जोरदार पैरवी करेंगी।

गौरतलब है कि अप्रैल 2008 में अमरोहा के बावन खेड़ी में शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही परिवार के सात लोगों की बेहरमी से हत्या कर दी थी। सेशन कोर्ट ने इस मामले में शबनम और सलीम को फांसी की सजा सुनाई है। शबनम की वकील की इस कोशिश का एक नई बहस को जन्म देना लाज़मी है।

द इंडियन ओपिनियन – लखनऊ

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