BSP ब्राह्मण सम्मेलन: दलित नेतृत्व फिर सत्ता को बेकरार, सतीश मिश्रा ने ब्राह्मणों पर जताया प्यार!

अयोध्या: द इंडियन ओपिनियन: जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव निकट आ रहा है राजनीतिक दलों के अंदर छिपी सत्ता की छटपटाहट और जातियों में बटे हिंदू समाज के अलग-अलग हिस्सों को अपने खेमे में मिलाने की कवायद तेज हो गई हैl

सतीश चंद्र मिश्रा ने अयोध्या में ब्राह्मणों का सम्मेलन बुलाया, खुशी दुबे का मसला उठाया:

बहुजन समाज पार्टी के सांसद और राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा को पार्टी की मुखिया मायावती ने एक बार फिर ब्राह्मणों को बसपा के पक्ष में डाइवर्ट करने के लिए मिशन पर लगा दिया है चुनाव नजदीक है मायावती सत्ता के लिए बेकरार हैं सतीश चंद्र मिश्रा भी समझते हैं कि उत्तर प्रदेश में 2007 के विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह के नेतृत्व को पराजित करके बसपा ने यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार इसलिए बना ली थी क्योंकि दलित ब्राह्मण गठजोड़ सत्ता के समीकरण को जन्म देने में सक्षम हैl भाजपा सरकार में ब्राह्मणों की उपेक्षा और अपमान का आरोप लगाते हुए सतीश चंद्र मिश्रा ने असंतुष्ट ब्राह्मणों पर खूब डोरे डाले उन्होंने दावा किया कि भाजपा सरकार में लगभग 400 ब्राह्मणों की हत्या हो चुकी है और ब्राह्मणों को पर्याप्त भागीदारी और सम्मान मिलना तो दूर की बात हैl उन्होंने कानपुर के विकरू कांड से जुड़े अपराधी विकास दुबे के करीबी अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे का मामला उठाया।
गौरतलब है कि विकास दुबे और अमर दुबे के एनकाउंटर के बाद खुशी दुबे काफी समय से जेल में है जबकि उन्हें निर्दोष बताया जा रहा हैl

बीजेपी के वोट बैंक पर बसपा की नजर मंच से लगवाया जय श्री राम का नारा:

बहुजन समाज पार्टी के मंच पर अयोध्या में आयोजित ब्राह्मण सम्मेलन में जय श्रीराम के नारे भी लगाए गए । राजनीतिक जानकारों के मुताबिक बहुजन समाज पार्टी को यह समझ में आ चुका है कि हिंदू समाज जातिवाद को भूलकर एकजुट हो गया है इसलिए उनकी धार्मिक भावनाओं का सम्मान कर के ही उनका समर्थन लिया जा सकता है बसपा नेताओं के मंच से जय श्रीराम के नारे खूब लगे और सतीश चंद्र मिश्रा अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर में बजरंगबली का दर्शन करके बसपा की जीत का आशीर्वाद भी मांगने गए।

बहुजन समाज पार्टी ने ब्राह्मणों और दूसरे हिंदू समाज की जातियों को जोड़ने के लिए नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है एक बार फिर बसपा सोशल इंजीनियरिंग करके दलितों और ब्राह्मणों का सफल प्रयोग बनाना चाहती है और अन्य वर्गों का वोट हासिल करने के लिए भी आक्रमक हो गई बसपा को यह संदेश देना चाहती है कि वह उत्तर प्रदेश में अभी भी मजबूत विपक्षी दल है।

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