दुनिया के मोस्ट वांटेड अपराधियों में से एक भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम कास्कर को लेकर केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने बड़ा खुलासा किया है. टेरर फंडिंग के एक मामले की जांच के दौरान एनआईए के सामने चौंकाने वाला सच सामने आया. एनआईए ने टेरर फंडिंग मामले में पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार किये गए लोगों में छोटा शकील के साले सलीम कुरैशी उर्फ़ सलीम फ्रूट समेत आरिफ शेख और शब्बीर शेख शामिल हैं. इस मामले में दाऊद और छोटा शकील वांटेड हैं. एनआईए चार्जशीट के मुताबिक, दाऊद, छोटा शकील और उनकी डी कंपनी भारत में अपने गुर्गों तक हवाला के जरिये पैसे पहुंचाने के लिए एक खास कोड वर्ड का इस्तेमाल कर रहे थे. ये कोड वर्ड था – ‘गंदे मैसेज’.
एनआईए ने अपनी चार्जशीट में ऐसे पांच एक्सटॉर्शन केस का जिक्र किया है जिनमें से एक मामले में आरिफ और शब्बीर ने पिछले एक दशक में एक कारोबारी से तकरीबन 16 करोड़ की फिरौती शकील तक पहुंचाई. ऐसे एक और मामले में इन दोनों ने एक दंपति को उनके दो मकान सलीम फ्रूट के रिश्तेदार को जबरन बेचने का दबाव बनाकर 2.7 करोड़ रुपये की उगाही की. इसके आलावा सलीम फ्रूट ने SBUT प्रोजेक्ट में भी एक अधिकारी को धमकाकर खुद के लिए 70 लाख रुपये अदा की जानेवाली रकम माफ करवाई. एनआईए ने शब्बीर के घर की छापेमारी में असली जैसी दिखने वाली ब्लेंक पिस्तौल भी बरामद की जिसका इस्तेमाल ये अपने टारगेट को धमकाकर उनसे फिरौती लेने के लिए करते थे.
टेरर फंडिंग के ताजा मामले में शब्बीर ने आरिफ के कहने पर इसी साल अप्रैल महीने में मुंबई के मलाड इलाके से 25 लाख रुपये हवाला के जरिये कलेक्ट किये. जिसमें से 5 लाख रुपये खुद के पास रखकर 20 लाख रुपये आरिफ शेख तक पहुंचाए. एनआईए ने मई महीने में शब्बीर के घर की छापेमारी में ये 5 लाख रुपये बरामद किये थे. एनआईए का दावा है कि इस रकम से ये आरोपी डी-कंपनी के इशारे पर मुंबई को दहला देने वाली वाली किसी बड़ी साजिश में इस्तेमाल करने की फिराक में थे.