कार्डियक अरेस्ट हृदय से जुड़ी एक ऐसी समस्या है जिसमें विभिन्न हिस्सों के बीच सूचनाओं का आदान प्रदान सही तरह से नहीं हो पाता है, जिस वजह से धड़कनों की गति अचानक से बढ़ने लगती है। जब व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट आता है तो धड़कनें सामान्य (60-100 प्रति मिनट) से बढ़कर 300-400 तक हो जाती हैं। अगर सही समय पर इलाज मिल गया तो मरीज की जान बच सकती है। इस स्थिति मेडिकल सर्विस मिलने तक मरीज को सीपीआर यानि मुंह से सांस देना और छाती में दोनों हाथों से तेज मारना शुरु कर देना चाहिए।
कार्डियक अरेस्ट के लक्षण-
जब दिमाग में खून की सप्लाई बंद होती है तो आदमी अचानक से बेहोश होकर गिर पड़ता हैं. पीठ और कंधों को थपथपाने के बाद भी कोई रिएक्शन नहीं देता है।
पीड़ित व्यक्ति की पल्स और ब्लड प्रेशर थम जोते हैं।ऐसे में दिमाग और शरीर के बाकी हिस्सों में ब्लड नहीं पहुंच पाता है।
कार्डियक अरेस्ट आते ही मरीज अचानक से गिर पड़ता है और कोई प्रतिक्रिया नहीं देता।
अचानक से दिल की धड़कन का बहुत तेज हो जाना।
बिना मेहनत या काम के भी सांस लंबी लेना या सांस लेने में तकलीफ होना।
कार्डियक अरेस्ट से कैसे बचें-
हेल्दी लाइफस्टाइल जिएं. अपनी जिंदगी में खाने-पीने से लेकर सोने तक सभी चीजों का समय और नियम बनाएं. इससे आपकी लाइफ बैलेंस रहेगी और टेंशन कम होगी।
शराब और सिगरेट से बचें इससे आपको हार्ट संबंधी परेशानी हो सकती हैं. शराब और सिगरेट का सेवन आपके स्वास्थ्य पर असर डालता है।
समय-समय पर अपने हार्ट के स्वास्थ्य को जानने के लिए ईसीजी कराते रहें।
ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखें।
अच्छा आहार लें, जो पौष्टिक हो, कम कार्बोहाइड्रेट और कम कोलेस्ट्रॉल वाला हो।
ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’