द इंडियन ओपिनियन
लखनऊ
चार दशकों तक उत्तर प्रदेश की सियासत और जरायम की दुनिया में अपना सिक्का चलाने वाले मुख्तार अंसारी की बांदा अस्पताल में बीती रात हुई मौत के बाद तमाम चर्चाएं हो रही है तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं।
पुलिस प्रशासन और सरकारी सूत्रों के मुताबिक जेल में हार्ट अटैक के बाद उनको मेडिकल कॉलेज ले जाया गया और बांदा मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर मुख्तार की परिवार से जुड़े और समर्थकों से जुड़े तमाम अकाउंट्स पर तरह-तरह के पोस्ट आ रहे हैं । कुछ लोग साजिश की बात कर रहे हैं और तमाम आरोप लगा रहे हैं वही मुख्तार अंसारी के एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन का कहना है “यह एक बड़ी साजिश है बीते 21 मार्च को अदालत में प्रार्थना पत्र देकर पहले ही मुखर के द्वारा साजिश के बारे में बताया गया था और यह कहा गया था कि उन्हें स्लो प्वाइजन दिया जा रहा है उनकी हालत लगातार बिगड़ रही है मुख्तार अंसारी ने अपने प्रार्थना पत्र में अदालत को पहले ही बता दिया था कि उन्हें ऐसा आभास हो रहा है कि जल्द ही उनकी मौत हो जाएगी उनकी हत्या हो जाएगी”
वरिष्ठ अधिवक्ता रणवीर सिंह सुमन का कहना है कि मुख्तार अंसारी के द्वारा बीते 21 मार्च को दिए गए पत्र को उनका “मृत्यु पूर्व बयान” माना जाना चाहिए उनका कानूनी रूप से “डाईंग डिक्लेरेशन” माना जाना चाहिए और इस आधार पर मुकदमा दर्ज करके उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए.