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सप्तर्षियों की नगरी के नाम से मशहूर बाराबंकी के सबसे पुराने नगर नगर पंचायत सतरिख को “आलीमाने-सतरिख” यानी विद्वानों की नगरी भी कहा जाता है।
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ब्रिटिश काल में जनपद बाराबंकी की सबसे पहली नगर पंचायत यानी टाउन एरिया के रूप में स्थापित हुई इस पौराणिक ऐतिहासिक नगरी को सुनियोजित विकास और खुशहाली के मार्ग से जोड़ने का दायित्व लगातार चौथी बार रेहान कामिल के परिवार को जनता ने संवैधानिक रूप से सौंप दिया है।
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अतिरिक्त मजिस्ट्रेट डीके शर्मा ने नवनिर्वाचित अध्यक्ष मोहम्मद रेहान कामिल और ग्यारह सभासदों को भारतीय संविधान और लोकतंत्र की परंपरा के अनुरूप पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
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गौरतलब है कि हिंदू मुस्लिम समाज में समान रूप से लोकप्रिय समाजसेवी के रूप में कई दशकों से स्थापित रेहान कामिल अपनी सज्जनता के लिए जाने जाते हैं यही वजह है कि देश और समाज के बदलते हुए हालातों के बावजूद लोगों के दिलों में उनके लिए भरोसा कायम है।
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चौथी बार नगर पंचायत सतरिख के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही उनके परिवार के ऊपर लोगों की तरक्की और खुशहाली के लिए काम करने की जिम्मेदारी और बढ़ गई है।
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लखनऊ और बाराबंकी शहरों के नजदीक इस पुराने नगर को रोजगार परक शिक्षा और व्यापारिक गतिविधियों में सुधार के जरिए आर्थिक विकास के रास्ते पर ले जाया जा सकता है। इतना ही नहीं क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देकर भी रोजगार के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं क्योंकि यह क्षेत्र सनातन हिंदू धर्म और इस्लामिक संस्कृति के महत्वपूर्ण केंद्रों से भी जुड़ा हुआ है।
द इंडियन ओपिनियन
बाराबंकी